मनोरंजन कुमार तिवारी की कविता “बनेगा कुछ ना कुछ…….तुम देख लेना”
बनेगा कुछ ना कुछ…….तुम देख लेना —————————————– जीवन के परिधि के, अंदर-बाहर, यहाँ-वहाँ, जहाँ-तहाँ, बिखरे हुए दर्द के टुकड़ों को, शिद्धत से जीने दो मन को, इसे बहलाओ मत, झुठलाओ …
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