प्रभांशु की नई कविता कूड़े वाला आदमी
वह आदमी निराश नही है अपनी जिन्दगी से जो सड़क किनारे कूड़े को उठाता हुआ अपनी प्यासी आंखो से कुछ दूढ़ता हुआ फिर सड़क पर चलते हंसते खिलखिलाते धूलउड़ाते लोगों …
वह आदमी निराश नही है अपनी जिन्दगी से जो सड़क किनारे कूड़े को उठाता हुआ अपनी प्यासी आंखो से कुछ दूढ़ता हुआ फिर सड़क पर चलते हंसते खिलखिलाते धूलउड़ाते लोगों …
सुशील कुमार ‘नवीन’ आप भी सोच रहे होंगे कि भला ये भी कोई बात है कि बेशर्मी के लिए नशा बहुत जरूरी है। क्या इसके बिना बेशर्म नहीं हुआ जा …
प्रो. (डॉ.) सदानंद भोसलेअध्यक्ष, हिंदी विभागसावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे- 07मोबाईल नं. 9822980668ईमेल: [email protected] व्यंग्य ‘सटायरिक स्पिरिट’ है, अर्थात् एक ‘व्यंग्य-भावना’। ‘व्यंग्य-भावना’ साहित्य के माध्यम से बुराइयों की गहरी खोजबीन करती …
‘ओजोन-लेयर’ कविता में अभिव्यक्त पर्यावरण पूरक व्यंग्य Read More »