आशा दिलीप की कविता – ‘मेहंदी और जीवन’

जीवन भी कुछ मेहंदी सा हो कष्ट सहे टूटन का पेड़ से सिल पर पिसे दर्द को सह के समेटी जाए पात्र मे पानी संग जो भी छुए उस पर …

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