मनीष खारी की नई कविता -मेरे बच्चों के लिए
जिस दिन तुम खुद को अकेला पाओ, घबराओ ,डर जाओ और उसका सामना ना कर पाओ। उस दिन एक बार हिम्मत करके अपने माता -पिता के पास जाना हो सकता …
जिस दिन तुम खुद को अकेला पाओ, घबराओ ,डर जाओ और उसका सामना ना कर पाओ। उस दिन एक बार हिम्मत करके अपने माता -पिता के पास जाना हो सकता …
सामयिक व्यंग्य: पावर ऑफ टाइम सुशील कुमार ‘नवीन’ राजा नम्बर वन, मंत्री-सभासद नम्बर वन। प्रजा नम्बर वन,प्रजातन्त्र नम्बर वन। प्रचार नम्बर वन, प्रचारक नम्बर वन। प्रोजेक्ट नम्बर वन, प्रोजेक्टर नम्बर …
सामयिक लेख: कृषि विधेयक सुशील कुमार ‘नवीन’ पिछले एक पखवाड़े से देशभर में किसान और सरकार आमने-सामने हैं। मामला नये कृषि विधेयकों का है। सरकार और सरकारी तंत्र लगातार …
सामयिक व्यंग्य : नफा-नुकसान – सुशील कुमार ‘नवीन’ सुबह-सुबह घर के आगे बैठ अखबार की सुर्खियां पढ़ रहा था। इसी दौरान हमारे एक पड़ोसी धनीराम जी का आना हो गया। …
ऐसे तो महंगा पड़ जाएगा ‘फ्री’ का हरी मिर्च और धनिया Read More »