फरहत परविन की कविता – ‘सोंधी सी मुस्कान’
गहन तिमिर के शांत कक्ष में सुलगाते ही एक चिंगारी हर लेती सारे अवसादों को रश्मिरथी ये तीव्र उजियारी सहेज सब कुछ अंतर्मन में रही बाँधती जिसे निष्काम बिना बोले …
गहन तिमिर के शांत कक्ष में सुलगाते ही एक चिंगारी हर लेती सारे अवसादों को रश्मिरथी ये तीव्र उजियारी सहेज सब कुछ अंतर्मन में रही बाँधती जिसे निष्काम बिना बोले …