नरसिंह यादव की कविता – “रेप की सजा फांसी”
लहरों को देखा आज यूं ही लहराते हुए हवाओं को भी देखा गुलछर्रे उड़ाते हुए बादल घूम रहा अकेले इधर उधर आज मिट्टी में मिली खुद जीवन सभालते हुए। खूब …
लहरों को देखा आज यूं ही लहराते हुए हवाओं को भी देखा गुलछर्रे उड़ाते हुए बादल घूम रहा अकेले इधर उधर आज मिट्टी में मिली खुद जीवन सभालते हुए। खूब …