हेतराम हरिराम भार्गव की कविता- ‘मैं वही तुम्हारा मित्र हूं..’

मैं वही तुम्हारा मित्र हूं… मैं धर्म निभाता मानवता का, मैं सत्य धर्मी का मित्र हूँ न्याय उचित में सदा उपस्थित मैं धर्म प्रेम का चरित्र हूँ मैं सदा मित्र …

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