सपना की कविता – ‘बेरोजगार’

बेरोजगार कितना मुश्किल यह स्वीकार हूँ, मैं भी बेरोजगार। सत्य को झुठलाया भी नहीं जा सकता न ही इससे मुँह मोड़ सकती हूँ मैं परम् सत्य तो यही है लाखों …

सपना की कविता – ‘बेरोजगार’ Read More »