काव्य सागर-5
जय माँ जगदम्बा माँ जिसे बुलाती जाता माँ दरबार ,माँ कीज्योति जली है ,जग में है उजियार बोलोजय मात दी ।। बोले जाओ कदम कदम से बढ़ते जाओ माता ने …
जय माँ जगदम्बा माँ जिसे बुलाती जाता माँ दरबार ,माँ कीज्योति जली है ,जग में है उजियार बोलोजय मात दी ।। बोले जाओ कदम कदम से बढ़ते जाओ माता ने …
5– माँ तेरे चरणों मे जग तेरे चरणाें आया मेरी माँ जग तेरे शरणाें में आया मेरी माँ!! तेरे आँखो का दुलार माँ तेरी संतान, तेरे आँचल का प्यार माँ …
जै जै जग जननी माँ— जग जननी ,सकल जगत संसार माँदुःख हरणी ,मंगल करनी ,तू तारणहार माँ जग जननी, सकल जगत संसार माँ।। दुष्ट विनासक, भय भव भंजकपल, प्रहर अविरल …
जै मां काली जै जगदंबै जै माँ काली, जै जगदंबै जै माँ काली ,वीर भूमि भी आंचल तेरा तूं जग जननी जग रखवाली!! जै जगदंबै जै माँ काली, जै जगदंबै …
शिवोहं शिवोहं शिवोहं चिता भस्म भूषित श्मसाना बसे हंम शिवोहं शिवोहं शिवोहं।। अशुभ देवता मृत्यु उत्सव हमारा शुभोंह शुभोंह शुभोंह शुभोंह शिवोहं शिवोहं शिवोहं ।। भूत पिचास स्वान सृगाल …
तपोवन शौर्य प्रखर निखर सूरज पूर्णिमा चन्द्र हलाहल विष भरा जहां मधुर मिठास अमृत जैसा।। ऊंचाई गौरी शंकर पर्वत गहराई समुद्र अंतर मन प्रशांत प्रतिदिन मंथन सागर जैसा।। राष्ट्र समाज …
अनुष्ठान अनुष्ठान जीवन का चलता रहेशौम्य शांत संचारित संस्कारकरता रहे।। भ्रम अनिश्चय का अँधेरा हटेराष्ट्र समाज गौरव मान प्रकाशितहोता रहे।। जीवन कि तपस्या का पुण्य प्रतापप्रसाद युग युवा पीढ़ी का …
जीवन का मौलिक मूल्य राष्ट्र जीवन यात्रा का एक अहम पड़ाव अविरल निर्मल निश्छल निरपेक्ष निर्विकार समाज राष्ट्र हित अनुष्ठान।। त्याग तपस्या सोच कर्म धर्म दायित्व बोध प्रखर निखर परिणाम।पल …
जीवन का मौलिक मूल्य राष्ट्र जीवन यात्रा का एक अहम पड़ाव अविरल निर्मल निश्छल निरपेक्ष निर्विकार समाज राष्ट्र हित अनुष्ठान।। त्याग तपस्या सोच कर्म धर्म दायित्व बोध प्रखर निखर परिणाम।पल …
साहित्य और समय समय प्रबाह परिस्थिति परिवेश वर्त्तमान की दृष्टि दिशा मार्ग है।। साहित्य भाव झरना झील नदियांसिंधु समागम नित्य निरंतता अक्षुण अक्षय उजियार है।। शब्द ओजस्वी ओज जन जनमन …