सौ सौ अफसाने हैं

नवगीत सबका अपना तौर-तरीकासबके अपने पैमाने हैं। हैं कई सभ्यताएँऔर उनमें संघर्ष है।कैसे होगा फिरइंसानियत का उत्कर्ष है।। अगर हमारा पंथ निरालाउसके सौ-सौ अफसाने हैं। एकीकृत करने का अबकोई वक्त …

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