साझा काव्य संग्रह प्रकाशन योजना
रचनाएँ निम्नलिखित ईमेल पर भेजें। साझा काव्य संग्रह हेतु :[email protected] विषय : “साझा काव्य संग्रह प्रकाशन हेतु” न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन विश्व भर में हिन्दी भाषा और साहित्य …
रचनाएँ निम्नलिखित ईमेल पर भेजें। साझा काव्य संग्रह हेतु :[email protected] विषय : “साझा काव्य संग्रह प्रकाशन हेतु” न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन विश्व भर में हिन्दी भाषा और साहित्य …
शीर्षक – तुम फिर याद आओगे जब जब वर्षा होगी,जब जब कोयल बोलेंगी,तुम मेरे दिल को बहकाओगे,तुम फिर याद आओगे। रेत के नक्श है मेरी कहानी,जुदाई ने भर दी आँखों …
देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु रचना, शीर्षक- तुम फिर याद आओगे Read More »
संयोग श्रृंगार रस से पूर्ण कविता शीर्षक- प्यार की राह में चलते चलते सुनो प्रिय प्यार की राह में चलते चलते,सहेंगे सुख-दुख हम दोनों हँसते हँसते। तुम ही हो मेरी …
महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक- प्यार की राह में चलते चलते Read More »
शैली : हाईकु दीप जलाओ बनाओ घरौंदों को आई दिवाली। पूजा का थाल फल फूल से भरो है दीपावली। दिन है यह शुभ मानते लोग महोत्सव में। नए कपड़े बाजार …
रिपोर्ट शीर्षक- इतिहास और वर्तमान का संधि स्थल हैदराबाद तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद,श्रमजीवी लोगों का शहर हैदराबाद,जिसका इतिहास और वर्तमान दोनों ही सुंदर है।यह वह स्थान रहा है जहाँ …
”श्रृंगार स्वाभिमान का” बनावटी सुंदरता से परे रहकर आत्मिक गर्व से जो कर्म करे, आत्म सम्मान निज ह्रदय में रखकर सीना चौड़ा कर जो कदम …
महिला दिवस काव्य काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक- “श्रृंगार स्वाभिमान का” Read More »
“अद्भुत हिंदुस्तान”26 जनवरी 1950 कोहमारे भारत का संविधान बन जाए,राष्ट्रीय पर्व का मिला दर्जा गणतंत्र दिवस का त्यौहार बनाएं, लोकतांत्रिक हिंदुस्तानी बने अब हमतिरंगा खुले चमन में लहराए,सरहद पर तने …
देश भक्ति काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक – “अद्भुत हिंदुस्तान” Read More »
“अद्भुत हिंदुस्तान” 26 जनवरी 1950 को हम हमारे भारत का संविधान बनाए, राष्ट्रीय पर्व का मिला दर्जा गणतंत्र दिवस का त्यौहार …
देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक- “अद्भुत हिंदुस्तान” Read More »
ऐसे हैं हम भारतवासी हिमशिखर उत्तुंग उठा कपाल, चरण पखारता सागर विकराल, गंगा यमुना संचारित रक्तनाल, असम चायबागान लहराते केशबाल, अद्भुत सोनचिरैया ऐसी, पूरी दुनिया थी अभिलाषी. ज्ञान ध्यान की …
मैं समाज हूँ बेटी मैं समाज हूँ।अपराध नहीं है तुम्हारा बेटी होना।मैंने ही तो तुम्हेंसदियों से बेटी बनाया जब जन्मी थी तुमतो सिर्फ इंसान ही तो थीमैंने तुम्हें बेटी बनाया …