जब दहलीज पर आऊँ

जब दहलीज पर आऊँ  <span;>,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, <span;>जब हम रवि सा दिन भर संतप्त हो,<span;>त्रसित संध्या की दहलीज पर आऊँ,<span;>तो श्रम बिन्दु पर ठंडी बयार सा बन,<span;>प्रिये! तुम मेरे रोम रोम में  …

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