तेरी गली से
तेरी गली से शब ओ रोज़ मुस्कुराते हुएमै जा रहा था फ़क़त तित्लीयाँ उड़ाते हुए !! तेरे हुज़ूर जो आया तो ये ज़रूर हुआतु रो पड़ा था मेरा क़द ज़रा …
तेरी गली से शब ओ रोज़ मुस्कुराते हुएमै जा रहा था फ़क़त तित्लीयाँ उड़ाते हुए !! तेरे हुज़ूर जो आया तो ये ज़रूर हुआतु रो पड़ा था मेरा क़द ज़रा …
मै क्या कहूं की साथ मेरे क्या नहीं हुआअच्छा भला किया था पर अच्छा नहीं हुआ !! कैसे करेगा मुझसे नदामत का तज़किराजिसको कभी यक़ीन भी पक्का नहीं हुआ !! …
सुशील कुमार’नवीन’ खाने को पिज्जा, लच्छा परांठा, तंदूरी नान,तवा नान, चिल्ला, डोसा वो सब हैं। जो मसालेदार खाने वालों को चाहिए। देसी चटखारे के लिए मक्के की रोटी, सरसों का …
आंदोलन में ‘उत्सव’ जैसा रसास्वादन, पिज्जा-बर्गर, चाय-कॉफी सब हाजिर Read More »