जीवन रोशनी – मनोरंजन तिवारी
लौट जाती है, होठों तक आकर वो हर मुस्कुराहट जो तुम्हारे नाम होती है जो कभी तुम्हारी याद आते ही कई इंच चौडी हो जया करती थी उन्मुक्त हँसी, बेपरवाह …
लौट जाती है, होठों तक आकर वो हर मुस्कुराहट जो तुम्हारे नाम होती है जो कभी तुम्हारी याद आते ही कई इंच चौडी हो जया करती थी उन्मुक्त हँसी, बेपरवाह …
ये जीवन जितनी बार मिले माता तुझको अर्पण है इस जीवन का हर क्षण ,हर पल माता तुझको अर्पण है। यही जन्म नहीं, सौ जन्म भी माता तुझ वारूँ मैं …
प्रथम में हल्का हरे रंग का लाल लाल जैसे हरियाली में ढल गया हो गुलाल l अति लघु लिए हैं शिशु का रूप निखरता है रंग जब …
जिस समय भारत में टीवी अया था तब इसे केवल मनोरंजन का साधन माना गया था। भारत में रामायण और महाभारत को देखने के लिए भारत के अधिकतर …
स्वयंप्रभा : टीवी के माध्यम से घर बैठे ही होगी पढ़ाई – राहुल खटे Read More »