Category: अन्य गद्य विधाएं
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,लोरी :गुनगुनाता और खिलता बचपन
रचनाकार का नाम: Dr.Anupama पदनाम: Srivastava संगठन: Jesus and Mary College, Delhi University ईमेल पता: [email protected] पूरा डाक

मुद्दा तो ये राष्ट्रीय पहले से ही है, डर है कहीं जन आंदोलन न बन जाए..
सुशील कुमार ‘नवीन’ दिल्ली बॉर्डर पर हिमपात सी शीतलहर में लगातार डेरा जमाए बैठे किसानों से बड़ा वर्तमान
भूमन्डलीकरण में दलित स्त्री के जीवन में बदलाव
“आकाश चाहती है
हर लड़की –
सोचती है सूरज चाँद तारों के बारे में
सपनों में आता है चाँद पर अपना घर -घर
उसके पैर धरती पर जमें हैं ।
अर्धांग भस्म भभूत है…अर्ध मोहिनी रूप है
ईमेल पता [email protected] सार शादी के बाद लड़कियाँ, लड़के को पति और उससे ज़्यादा परमेश्वर मानने लगती हैं।

आंदोलन में ‘उत्सव’ जैसा रसास्वादन, पिज्जा-बर्गर, चाय-कॉफी सब हाजिर
सुशील कुमार’नवीन’ खाने को पिज्जा, लच्छा परांठा, तंदूरी नान,तवा नान, चिल्ला, डोसा वो सब हैं। जो मसालेदार खाने

पंगा मत लो नॉटी गर्ल,इन्हें अच्छे की भी समझ है और बुरे की भी, सरकार नहीं ‘सर्वकार’ हैं यें….
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गांधी और हिंदी
अब एकबार फिर वक्त आ गया है कि हम गांधी की भाषा दृष्टि, उनके विचार तथा उनके साहस का सहारा ले स्वतंत्र भारत की भाषाई अस्मिता को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत कर अतीत की ऐतिहासिक भूलों का परिमार्जन करें।