महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता ( स्त्रीत्व)
डर कर,थक,ऊब करवह प्रत्येक स्त्री!जो आत्महत्या करके मर गई;कमल और कुमुदिनी थी। और जो जिंदा रह गईफिक्र में
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
डर कर,थक,ऊब करवह प्रत्येक स्त्री!जो आत्महत्या करके मर गई;कमल और कुमुदिनी थी। और जो जिंदा रह गईफिक्र में
मेरी हार्दिक इच्छा है कि लोग भूल जाएंँ,पपड़ियों की तरह उधड़ते,पंखुड़ियों की बिखरते,उद्वेलित नश्वरता की क्षणभंगुरता में झड़ता
अस्ताचलगामी सूर्य के अवसान पर,मध्य में जीवन की प्रवाहमान सरिता शान्त स्तंभित!मूकदर्शक मैंने देखा,उसका म्लान मुख अचंभित!एक तरफ
—————————————————डरऔरत लेकर पैदा नहीं होतीमाँ के पेट से..उसे चटाया जाता है घुट्टी में मिलाकरपिलाया जाता है माँ के