Category: अनूदित कविता
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नरसिंह यादव की कविता – ‘रेप की सजा फांसी’
बोल रहे बढ़ चढ़ के उन्हीं के हत्यारे,
फिर आ जाओ हमें ये सिखाते हुए,
जिंदा हैं बहू बेटियों को यूं डराते हुए,
घूम रहे इज्जत को तार तार करते हुए,
भूल गए वहीं आज नारा लगाया जो,
जी रहे सरकार का मौज उड़ाते हुए।
January 2, 2021
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अनूदित कविता
November 25, 2020
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November 24, 2020
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रमेश कुमार सिंह रुद्र की नई कविता ‘मां सरस्वती’
वीणावादिनी ज्ञानदायिनी ज्ञानवान कर दे…. माँ रूपसौभाग्यदायिनी नव रुप भर दे…. हंसवाहिनी श्वेतांबरी जग उज्ज्वल कर दे….. वीणापाणिनि
November 23, 2020
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November 20, 2020
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November 2, 2020
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November 2, 2020
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उत्कर्ष
दृष्टि विहीन हुआ, मनुज संताप की वेदना भारी है, देव,देव न रहे, निर्विवाद है विध्वंस की भावना जारी है, किस
October 26, 2020
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