युवाशक्ति
ना सूरज की तपन से जल पाए, ना मारुत कहीं उड़ा ले जाए,
ना सरिता कभी बहा सके, ना सागर इसको डूबा पाए,
ना रोक सकेगा तूफां कोई, ना बादल गर्जन से डरा पाए,
जो हुँकार भरे युवा शक्ति मिलकर, ये भूमंडल डगमगा जाए
ये ब्रह्मांड डगमगा जाए।
हे ऐसी अगन, हे ऐसी तपन, पत्थर को पिघला जलजला ला दे,
बंजर सी भूमि में उपजा सोना, मरुधर में गंगा बहा दे।
इस यौवन की ललकार को सुन, शैतान भी काँप उठे थर- थर,
जो मन में ठान ले गर युवा, तो ख़ुशियों से भर जाये हर घर।
कर “निमय” युवा शक्ति को नमन, इस धारा में हो जा लीन,
इन पर गर्व करे जग सारा, कोई ना समझे खुद को हीन।
इस यौवन की ज्वाला को, व्यर्थ में ना ठण्डा होने देना।
मुखमंडल के ओज- तेज को, जीवन में ना मंदा होने देना।
नेमीचंद मावरी “निमय”
बूंदी, राजस्थान
Last Updated on November 2, 2020 by poetnimay.info