चाँद से सवाल
चंदा मामा हमारे घर भी आओ ना,
मेरे संग बैठकर हलवा-पूड़ी खाओ ना ।
मुझे करनी हैं, तुमसे ढेर सारी बातें
तुम्हें बुलाते-बुलाते गुज़र गई कई रातें ।
अब ना चलेगा तुम्हारा कोई भी बहाना
जल्दी से मेरे सवालों के जवाब देते जाना ।
तुम्हें घेरे हुए हैं जो- बहुत से टिमटिम तारे,
क्या वे सब हैं – दोस्त तुम्हारे ?
तुम रोज़ छोटे-बड़े, कैसे हो जाते हो,
कभी पूरे गोल तो कभी ग़ायब हो जाते हो ?
सुना है तुम सूरज चाचा से बहुत डरते हो,
उसके आते ही छिपने की क्यों करते हो ?
अगर तुम नहीं आए तो मैं ग़ुस्सा हो जाऊँगा,
तुम्हारे हिस्से के भी पकवान , खुद खा जाऊँगा ।
रचनाकार:- संदीप कटारिया (करनाल,हरियाणा)
Last Updated on February 7, 2021 by sandeepk62643
- संदीप कटारिया
- सदस्य
- सृजन आस्ट्रेलिया
- [email protected]
- करनाल , हरियाणा