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चाँद से सवाल

चाँद से सवाल

चंदा मामा हमारे घर भी आओ ना,
मेरे संग बैठकर हलवा-पूड़ी खाओ ना ।

मुझे करनी हैं, तुमसे ढेर सारी बातें
तुम्हें बुलाते-बुलाते गुज़र गई कई रातें ।

अब ना चलेगा तुम्हारा कोई भी बहाना
जल्दी से मेरे सवालों के जवाब देते जाना ।

तुम्हें घेरे हुए हैं जो- बहुत से टिमटिम तारे,
क्या वे सब हैं – दोस्त तुम्हारे ?

तुम रोज़ छोटे-बड़े, कैसे हो जाते हो,
कभी पूरे गोल तो कभी ग़ायब हो जाते हो ?

सुना है तुम सूरज चाचा से बहुत डरते हो,
उसके आते ही छिपने की क्यों करते हो ?

अगर तुम नहीं आए तो मैं ग़ुस्सा हो जाऊँगा,
तुम्हारे हिस्से के भी पकवान , खुद खा जाऊँगा ।

रचनाकार:- संदीप कटारिया (करनाल,हरियाणा)