जन्मदात्री शक्ति दायनी मां जीवन की झंकार है,
मां जीवन की आधार मां में सिमटा सारा संसार है।
जीवन की मां पहली मूरत निस्वार्थ भाव की संदर्भ है,
पालन-पोषण करने वाली मां पर हमको गर्व है।
हंसकर करती हर समस्या का निस्तारण हम से कुछ न कहती है,
बच्चों को जन्म देने में सबसे ज्यादा पीड़ा सहती है।
अन्न-अनाज खाने से पहले मां का दूध जीवन का संस्कार है,
मां जीवन की आधार मां में सिमटा सारा संसार है।
मां है गीता वेद पुराण बाइविल और कुरान है,
मां ममता का सागर है और संस्कृति का सम्मान है।
सुबह की पहली आवाज और मां ही मीठा कलरव है,
बाल्यकाल में बच्चों के होठों पर मां ही पहला स्वर है।
नजर उतारनें वाली माता करती काले टीके से श्रंगार है,
मां ही ज्ञान दायनी और मां की जायज फटकार है।
जब तकलीफ होती बच्चों पर मां ही थपकी देती है,
बच्चों को सूखे में सुलाती खुद गीले में सोती है।
हर संघर्ष मुसीबत में मां आत्मविश्वास की ताबीज़ है,
गलत मार्ग पर जाने से रोके मां बच्चों की तासीर हैं।
सर्दी गर्मी खाती जिंदगी में फिर भी शीतलता की धार है,
मां मंदिर की मूरत और अटूट प्रेम का हार है।
मां ही भविष्य की सौगात है और सगुन की दही कटोरी है,
बच्चों के रुधन को सुनकर बैचेन हो जाती और मां ही चंद्रमामा की लोरी है।
जिसके सिर पर नहीं है मां की ममता का हाथ उसके देखों क्या हालात है,
मां की कद्र नहीं की जिसने उसके जीवन पर लालात है।
मां बच्चों के जीवन की करुणामई संस्कार है,
मां जीवन की आधार इसमें सिमटा सारा संसार है।
Last Updated on January 12, 2021 by jrmohitkumar96
- मोहित कुमार
- छात्र
- बी.जे.एम.सी, नोएडा
- [email protected]
- जालौन , उत्तर प्रदेश