

हे अन्नदाता
*हे अन्नदाता ! ,हे अन्नदाता !* हे अन्नदाता ! हे अन्नदाता !उठों जागों तुम्हें खेत बुलाताहल तुझसे पहलें
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
*हे अन्नदाता ! ,हे अन्नदाता !* हे अन्नदाता ! हे अन्नदाता !उठों जागों तुम्हें खेत बुलाताहल तुझसे पहलें
*सैनिक दिवस पर विशेष* *सीमाओं पर डटें, जो देश की रखवाली करतें हैं**बिना स्वार्थ हित लाभ के जो
मकर संक्रांति आई हैं मकर संक्रांति आई हैंएक नई क्रांति लाई हैंनिकलेंगे घरों से हमतोड़ बंधनों को सबजकड़ें
मेरे नसीब के हर एक पन्ने परमेरे जीते जी या मेरे मरने के बादमेरे हर इक पल हर
*1-कारगिल युद्ध गाथा* कारगिल में गूँज उठी थी,शूरवीरों की ललकारपाकर सह शैतानों का जब घुस आए थे आतंकी
*।।मैं।।*मैं चिर नवीन मैं अति प्राचीनमैं खुशमिज़ाज मैं ग़मशीन मुझमें यह संसार समाया हैंमुझसें मोह मोक्ष माया हैं