अब जागो माँ !
अब औरतों को
गड़े मुर्दे उखाड़ने की
आदत बदलनी होगी
इतिहास के पन्नों में छिपे
उन उदाहरणों को भी
चुनना होगा जहाँ
स्त्री शक्ति है
दुष्टों का संहार करनेवाली दुर्गा है
राक्षसों विनाश करनेवाली काली है
ज्ञान का प्रकाश फैलानेवाली शारदा है
धरा की प्यास बुझानेवाली गंगा है
क्षुधा शांत करनेवाली अन्नपूर्णा है
गृहस्थी का भार उठानेवाली गौरी है
मृत्यु को मात देनेवाली सावित्री है
वैभव में वृद्धि करनेवाली लक्ष्मी है
ये सभी रूप स्त्री के ही हैं
ये कोरे रूपक नहीं
शाश्वत सत्य है
क्योंकि स्त्री भूल जाती है कि
उसी की कोख से
जन्मते हैं पुरुष भी
वही पालती है बेटे को भी
वही संस्कार देती है पुत्र को भी
वही पोसती है नाती-पोते
और वही बनाती है घर को घर
और दिखाती है दिशा
न केवल अपने बच्चों को
बल्कि समाज को भी।
जिस दिन औरत
अपनी शक्ति और
सही उत्तरदायित्व को
पहचान लेगी
अपनी इच्छाशक्ति को
जान लेगी
वह बदल सकेगी
न केवल पुरुष को
बल्कि दुनिया को भी
जिस दिन वह खुद को
पुरुष की समानता करने की
होड़ से मुक्त करेगी
उस दिन वह जन्म देगी
मनुष्य को
और सच्चे अर्थों में
बन सकेगी माँ
क्योंकि ईश्वर के द्वारा
उसने ही पाया है
ईश्वर को रचने का गुण
स्त्री ही भर सकती है
अपनी कोख से हर सद्गुण
स्त्री ही सिखला सकती है
बेटों को करना स्त्री का सम्मान
पर उसे छोड़ना होगा पहले
करना स्त्री का अपमान
पुरुष में परिवर्तन
पुरुष नहीं लाता है
यह सुकर्म करनेवाली
केवल स्त्री है, माता है
गीता टण्डन
30.8.19
Last Updated on January 20, 2021 by geetatandon1
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