स्वरचित कविता (महिला काव्य प्रतियोगिता हेतु प्रेषित प्रविष्टि)
शीर्षक-“जाग रहीआधीआबादी”
जाग रहीआधीआबादी,दु:ख छिपकर अब सोता है।
देश मेरा गर्वित है इनपर,सुख-स्वप्नों में खोता है ।।
दिन चमकीले,रात सुहानी,घर-घर गूंजे यही कहानी।
कहीं राष्ट्रप्रेम की ठानी,कहीं बनी घर की पटरानी।।
सीमा पर तैनात गरजती,दुश्मन हरदम रोता है।
बेटी है वरदान नियति का,नेह का मेह भिगोता है।।
जाग रही…
सेवा,ममता,उल्फत,साहस,हर इक क्षेत्र में रम जाती है।
मां,बहना,प्रियतमा सभी रूपों में झटपट ढल जाती है।।
पालक,चालक,नर्स,चिकित्सक, नेता,कलमकार,संरक्षक।
कर्मक्षेत्र की कलाकार यह,आंखों में भरपूर चमक।।
तन किसान मानस-वसुधा पर बीज हर्ष के बोता है।
पारिजात से खिल जाते,सांसों में सुरभि समोता है।।
जाग रही…
प्राची में है रवि किरण सी,उगती आशाओं का पूर।
चटक चांदनी चमकाती सी,मुख पर ले चंदा का नूर।।
बरछी,भाले कटि पर बांधे,अरि पर करती वार।
काम चले ना गर शस्त्रों से, कलम बने तलवार।।
‘बिन घरनी घर भूत का डेरा’ कहकर ये जग रोता है।
जो देवी का दर्द बढ़ाए ,पाप की गठरी ढोता है।।
जाग रही…
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स्वरचित, मौलिक,सर्वथा अप्रकाशित एवं अप्रसारित कविता-
कवयित्री-डा. अंजु लता सिंह, नई दिल्ली
Last Updated on January 7, 2021 by anjusinghgahlot
- डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
- वरिष्ठ उपाध्यक्ष-राष्ट्रीय महिला काव्य मंच,द.दिल्ली इकाई मंच
- "प्रतिभा विकास मिशन"संस्था की संचालिका/सेवानिवृत्त हिंदी विभागाध्यक्ष
- [email protected]
- C-211,212,paryawaran complex,saidulajab,N.Delhi-30
1 thought on “महिला दिवस-2021,काव्य प्रतियोगिता हेतु प्रेषित मेरी प्रविष्टि(कविता)”
Ati uttam ma’am.