प्रातःकाल में जो प्रतिदिन,
प्रेरित कर हमें जगाता है।
जिस सूरज के उग जाने से,
अंधियारा दूर हो जाता है।।
सब उत्साहित हो-होकर,
आगे बढ़ने को मचलते हैं।
नीड़ छोड़कर डालों पर,
पक्षी भी कलरव करते हैं।।
कंधे पर हल-पाटा लेकर,
कृषक खेत को चलता है।
डब्बे में दुग्ध आदि भरकर,
ग्वाला शहर निकलता है।।
कपड़ा पहने, बस्ता लादे,
बच्चे शिक्षालय जाते हैं।
मजदूर और अधिकारी भी,
दिनचर्या रत हो जाते हैं।।
स्वयं जलकर, दिनभर चलकर,
सूर्य प्रकाश फैलाता है।
सायं काल में लाली देकर,
बिना थके ढल जाता है।।
यह है परम् कर्तव्य हमारा,
नित उसके गुण गाएँ।
सबसे आगे, सबसे पहले,
उठकर शीश नवाएं।।
उससे विनती, उसका भजन,
उसकी पूजा, हवन-होम हो।
गुरुवार हो, भौमवार हो,
रविवार हो या सोम हो।।
आस्थावान हो, हम मिलकर,
उससे करें यह याचना।
हे भगवन, सब सुखी रहें,
आपकी हो सदैव उपासना।।
Last Updated on January 13, 2021 by dtripathiy
- यमुना धर त्रिपाठी
- हिंदी शिक्षक
- हिम इंटरनेशनल स्कूल, इटानगर
- [email protected]
- ग्राम-परसा बुजुर्ग, पोस्ट-ऊरूवा बाजार, गोरखपुर (उ०प्र०)-273407