चित्रकूट सम कूट नहिं इस दुनिया में कोय
बसे राम जहाँ द्वादश साधुवेश में सोय
सीता नारि तपस्विनी लखन भाइ केसंग
दोऊ हाथ धनुहा लिए और साधे निसंग
पयस्वनी निर्मल बहे रामघाट है नाम
तुलसी बैठे चौक पर शिव बैठे निष्काम
चित्रकूट पर्वत लसै, जिसमें चारहि द्वार
लक्ष्मण पहाडी़ अलगहि,दिखती है हरबार
हनुमान धार नित बहे निर्मल जल की धार
शिला स्फटिक सुहाना है जह जयंत की हार
अत्री मुनि आकर बसे सती अनुसूया संग
पडा दुर्भिक्ष जबहि जग मे प्रकट भई तब गंग
Last Updated on February 15, 2021 by shivdatttripathi767
- शिवदत्त त्रिपाठी
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