उदय सूरज का पूरब से
आशा विश्वास की मुस्कान लिए।।
रौशन करता त्रिभुवन को
खुशियों का भान लिए।।
अस्ताचल पश्चिम में सागर की
गहराई आसमान का अभिमान लिए।।
अस्ताचल कहते सूरज
आऊँगा मैं घने आंधेरो की रात के
बाद नई सुबह की नई खुशी में
हँसतचल की प्यार परछाई बन
ऊंचाई अरमान लिये ।।
कहती अवनि अपना तो
सूरज से युगों युगों से पल प्रहर का
साथ मेरा सौभाग्य प्रकृति प्रबृत्ति
का संग साथ लिये।।
ना हो सूरज तो नही बनेगी
ब्रह्मा की सृष्टि जीव जगत का
प्यारा संसार रह जायेगा महाप्रलय
का अंधेरा हाहाकार लिये।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखर उत्तर प्रदेश
Last Updated on February 5, 2021 by nandlalmanitripathi
- नंन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
- प्राचार्य
- भारतीय जीवन बीमा निगम
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- C-159 दिव्य नगर कॉलोनी पोस्ट-खोराबार जनपद-गोरखपुर -273010 उत्तर प्रदेश भारत