तुम एक कृष्णकलि हो, क्यों तुम सिमटी हुई, शरमाई हुई हो ?
बागों में खिले फूल तुम्हारे साथी है फिर क्यों शरमाई हुई हो ?
तितलियों की उड़ान तुम्हारे लिए है, फिर क्यों शरमाई हुई हो ?
खुला आसमान तुम्हारे लिए है, फिर क्यों शरमाई हुई हो ?
खुलकर हंसों सब तुम्हारे लिए है,
क्योंकि तुम कृष्णकलि हो ।
– रोशनी
Last Updated on April 7, 2021 by ranjanabhagat70
- रंजना सोलंकी भगत
- लेखिका
- जागृति साप्ताहिक
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