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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

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और इंतजार

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यह तेरी आंखों का जादू
कुछ इस तरह कर गया है असर
सिर्फ तेरे सिवा दुनिया में
नहीं आता कुछ नजर

ना जाने किस वजह से
मेरी मोहब्बत को कर रही इनकार
दिल मेरा कर रहा है
बेसब्री से तेरी हां का इंतजार

क्या तू मेरे इश्क को समझी नहीं
या डर है इस जमाने का
आरजू रखता हूं बस इतनी सी
एक मौका तो दे तू मनाने का

किस कदर डूबा हूं तेरे प्यार में
मुश्किल है तेरे लिए मानना
पर मेरी मोहब्बत तो एक इबादत है
जरूरी है तेरे लिए यह जानना

तेरी हां का इंतजार करूंगा मैं
मिट्टी में मिल जाने तक
सच्चा है मेरे इश्क समझ ले तू
मेरे मरने के बाद तुझे होगा फक्र

  1.  

Last Updated on January 29, 2021 by abhac2610

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1 thought on “और इंतजार”

  1. अधमरी सी उम्मीदें कभी सो न सकी इंतज़ार में
    बिलख- बिलख कर रोया है मन साथी तेरे प्यार में

    दूर से ही तो चाहा था तुमको
    बस पास तुम्हारे ये दिल था
    हम नदी के किनारे जैसे थे
    मिलना भी हमारा मुश्किल था

    राह भी हमारी अलग थी कभी टकराते ना बाजार में
    बिलख- बिलख कर रोया है मन साथी तेरे प्यार में

    रोज़ नेह की पाती लिखी तुझे
    और रोज़ फाड़ कर फेंकते हैं
    बच्चे सा दिल जिद करता है
    बड़े यत्न से खुद को रोकते हैं

    पहले ही छोड़ दिया होता , दूर तक आये बेकार में
    बिलख- बिलख कर रोया है मन साथी तेरे प्यार में

    ख्यालो में ऐसे बसाया तुमको
    चाह के भी ना कुछ सोच सके
    बांध ली आंखों पर प्रेम की पट्टी
    तुम्हारे सिवा ना कुछ देख सके

    इतना चाहा जिसको ,वही छोड़ गए मझधार में
    बिलख- बिलख कर रोया है मन साथी तेरे प्यार म

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