अन्तरराष्ट्रीय देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित मेरी प्रविष्टि-
स्वरचित, मौलिक,सर्वथा अप्रकाशित एवं अप्रसारित
देशभक्ति गीत—
शीर्षक-“हमरा तिरंगा”
हमरा तिरंगा गगन में लहराए रे
हमरा तिरंगा..हमरा तिरंगा
इस झंडे में तीन रंग साजें
जी तीन रंग साजैं..
सब रंग महिमा से भरके बिराजैं..
जी भरके बिराजैं..
इसपे मनवा भी वारि-वारि जाए रे..
हमरा तिरंगा ………लहराए रे
हमरा तिरंगा
भगवा रंग कहे वीरों की गाथा जी वीरों की गाथा
सबहि नवाएं उनको जी माथा
हां उनको जी माथा ..
देस की खातिर प्राणों को लुटवाए रे..
हमरा तिरंगा……….लहराए रे
हमरा तिरंगा
रंग सफेद का सबसे ही नाता
जी सबसे ही नाता..
मिलके रहो ये संदेसा सुनाता
संदेसा सुनाता..
मन का कबूतर चिहुंके उड़ा जाए रे..
हमरा तिरंगा……….लहराए रे
हमरा तिरंगा …
खेतों में सबके ही झूमे हरियाली
जी झूमे हरियाली..
झोली रहे ना किसी की भी खाली..
किसी की भी खाली..
ये हरा रंग हमें तो बतलाए रे
हमरा तिरंगा ……..लहराए रे
हमरा तिरंगा
चक्र बना बीच हौले से बोले
जी हौले से बोले..
चौबीसों घंटे चलो मेरे भोले
चलो मेरे भोले..
चलना होगा समय न निकल जाए रे..
हमरा तिरंगा ……..लहराए रे
हमरा तिरंगा
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स्वरचित देशभक्ति गीत
रचना तिथि-9-1-2021
रचयिता-
डा.अंजु लता सिंह ‘प्रियम’
नई दिल्ली
Last Updated on January 9, 2021 by anjusinghgahlot
- डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
- उपाध्यक्ष-राष्ट्रीय महिला काव्य मंच,द.दिल्ली इकाई मंच
- प्रतिभा विकास मिशन
- [email protected]
- C-211,212,paryawaran complex,saidulajab,N.Delhi-30