न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

placeholder.png
Facebook
Twitter
LinkedIn
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य संगत-10

चलो राम बताएं– चलो आज हम राम बताएंराम मर्यादा अपनाएँ।। राम रिश्ता मानवता कीअलख जगाएं।। प्रभु राम का

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य धारा -9

राम स्वयं को भक्त राम काकहते बड़ा मुश्किल हैभक्त राम का बन पाना।। राम तो मर्यादा पुरुषोत्तमकठिन है

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य सागर -8

——जग जननी माँ—– 10-जग जननी दुःख हरणी ,मंगल करनी तू तारणहारी तू सकल जगत संसार माँ।।दुष्ट विनासक, भय

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य सागर-7

माँ आओ मेरे द्वार माईया पधारों घर द्वारेभक्तों का है इंतज़ारघर घर तेरा मंडप सजा हैमाईया के स्वागत

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य फहरा-7

भय भव भंजक कष्ट निवारिणी पाप नाशिनी माँजय जय जय दुर्गे सकल मनोरथदायनी माँ।। दुर्लभ ,सुगम शुभ मंगल

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य सागर -6

जगत माँ जग जननी दुःख हरणी ,मंगल करनी तू तारणहारी तू सकल जगत संसार माँ।।दुष्ट विनासक, भय भव

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य सागर-5

जय माँ जगदम्बा माँ जिसे बुलाती जाता माँ दरबार ,माँ कीज्योति जली है ,जग में है उजियार बोलोजय

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य सागर-4

5– माँ तेरे चरणों मे जग तेरे चरणाें आया मेरी माँ जग तेरे शरणाें में आया मेरी माँ!!

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य धारा -3

जै जै जग जननी माँ— जग जननी ,सकल जगत संसार माँदुःख हरणी ,मंगल करनी ,तू तारणहार माँ जग

Read More »
काव्य धारा
nandlalmanitripathi

काव्य सागर -2

जै मां काली जै जगदंबै जै माँ काली, जै जगदंबै जै माँ काली ,वीर भूमि भी आंचल तेरा

Read More »
error: Content is protected !!