न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

प्री-बोर्ड

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प्री-बोर्ड

उर्मिला काफी देर से चम्मच को उल्टा सीधा करके देख रही थी और उसकी माँ सुधा उसे।उर्मिला अमूमन अल्हड़ स्वभाव का वर्ताव किया करती थी और सुधा को उसी की आदत भी थी।आज-कल उर्मिला के वर्ताव में काफी बदलाव प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने लगे थे।उसकी माँ होने के नाते सुधा उर्मिला में आ रहे इन बदलावों पर बडी पैनी नजर रखती थी।इसे आप उसकी मजबूरी का नाम भी दे सकते हैं क्योंकि उर्मिला के पापा जब से शहर कमाने गये थे तब से उर्मिला की सारी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सुधा की ही थी।
“क्या हुआ इससे पहले कभी चम्मच नहीं देखा क्या?” सुधा के इस सवाल से उर्मिला का ध्यान टूटा तो उसने माँ जिसे वो हमेशा प्रिंसेस बुलाती थी,को सामने खड़ा पाया।उर्मिला- “अरे प्रिंसेस आप कब आये ?” सुधा- “जब आप चम्मच को अपनी नजरों के तेज से पिघलाने की असफल कोशिश में तल्लीन थे।” उर्मिला- “अरे क्या बात रही हो प्रिंसेस? हम भला क्यों पिघलाने लगे अपनी फेवरेट चम्मच को वो भी जिसमें आपने हमारा नाम लिखवा रखा हो।” सुधा- ” अच्छा तो पिघलाने के अलावा और कौन सा काम कर रहे थे चम्मच पर इतनी देर से नजर टिकाये?” उर्मिला- “कुछ खास नहीं प्रिंसेस।बस उत्तल-अवतल समझने की कोशिश कर रही थी।” सुधा- “ये उत्तल-वतल क्या है? कोई जादू-टोना तो नहीं सीख रही हो न तुम?” उर्मिला- “अरे प्रिंसेस।उत्तल-वतल नहीं बल्कि उत्तल और अवतल दर्पण की बात कर रही हूँ मैं।” सुधा- “उर्मिला तबियत तो ठीक है तुम्हारी? तुमको पढ़ाई के प्रति इतना सीरियस पहले तो कभी नहीं देखा।” उर्मिला- “प्रिंसेस अबकी देखना तुम्हारी उर्मिला प्री बोर्ड में कमाल करेगी क्योंकि कैसे पढ़ना है उसे अब समझ आ गया है।वो भी कुमार सर की बदौलत।” सुधा-” ये कुमार सर कौन हैं?” उर्मिला- “नये आए हैं।कमाल की साइंस पढ़ाते हैं।आज कह रहे थे कि साइंस किताब से ज्यादा बाहरी दुनिया में देखोगे तो ज्यादा और जल्दी समझ आयेगी।पता है आज चम्मच से दर्पण के बारे में सब कुछ समझा दिया।है न कमाल का आइडिया?” सुधा- “अच्छा।अब समझ आया चम्मच पिघलाया नहीं जा रहा था बल्कि दर्पण के बारे में समझा जा रहा था।” उर्मिला- “जी हाँ प्रिंसेस।पता है सर कह रहे थे प्री बोर्ड,बोर्ड से घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है।परीक्षा तो जिंदगी भर चलती रहेगी।एक बार अगर आपको विषय इंट्रेस्ट के साथ समझना आ गया तो फिर हर परीक्षा में अच्छे अंक ही आयेंगे।”
उर्मिला का पढ़ाई के प्रति बदला नजरिया अब साफ झलकने लगा था।घर की किचेन से लेकर राशन की दुकान तक कहीं भी साइंस की कोई बात हो अपनी प्रिंसेस को बताती जरूर थी।प्री बोर्ड परीक्षा हो चुकी थी और अब उर्मिला निश्चिंत होकर आगे की तैयारी में मशगूल हो चुकी थी।
एक दिन उर्मिला और सुधा बैठे थे अचानक से उर्मिला ने बोली- “प्रिंसेस आपको पता है।कुमार सर हमेशा कहते हैं पढ़ाई जब तक आपके डे-टू-डे लाइफ में दिखाई न देने लगे तब तक यही समझना कि कुछ तो गडबड है।”
सुधा- “अब और कितना डे-टू-डे लाइफ में दिखेगी पढ़ाई? आपको खबर भी है कि नहीं अब आप चम्मच में उत्तल-अवतल दर्पण दिखाई देने लगा है,नमक अब सोडियम क्लोराइड हो गया है,उबलते दूध में केसीन प्रोटीन साफ दिखाई देने लगा है,भोजन मुंह में पहुँचते ही लार में टायलिन एंजाइम भोजन का पाचन शुरू कर देता है,साबुन का सूत्र हर साबुन के कवर पर लिख देती हो आप,बल्ब कितने यूनिट बिजली खा गया यह मीटर से पहले आप बताने लगी हो,किस फल में कौन सा विटामिन है फल वाले तक को याद करा दिया है आपने,आप किराना वाले को दाल की प्रोटीन से लेकर आयरन,जिंक,कार्बोहाइड्रेट और वसा तक की मात्रा बताने लगे हो।आपके कमरे की दीवारों तक को पीरियाडिक टेबल याद हो आई है।”
सुधा नाॅनस्टाप बोले जा रही थी और उर्मिला अचरज भरी नजर से उसे निहार रही थी।उर्मिला- “प्रिंसेस कमाल है आप तो साइंस का काफी-कुछ जानने लगे हो।” तभी गेट से आवाज आई- “मैं भी यही कहना चाहता था।” उर्मिला ने पलट कर देखा तो गेट पर कुमार सर थे।उर्मिला- “अरे सर आप कब आये? प्लीज अंदरआइये न।” कुमार सर-“उर्मिला हम बस थोड़ी देर पहले ही आये।गेट पर आने पर आपकी मम्मी जी की साइंस सुनने में इतना मशगूल हो गए कि गेट पर दस्तक देना ही भूल गए।वैसे माँ जी मैं आपको सादर प्रणाम करता हूँ।”
सुधा- “खुश रहिये।अच्छा तो आप ही हैं कुमार सर।काफी कुछ बताते हैं बच्चे आपके बारे में।” कुमार सर(मुस्कुराते हुए) – “आशा है अच्छा ही बताते होंगे।” तभी कुमार सर- “हम बस ये बताने आये थे कि उर्मिला ने प्री बोर्ड में बहुत अच्छे नंबर प्राप्त किये हैं।क्लास में पहली रैंक पर आई है।” सुधा- “क्या बात कर रहे हैं सर हमारी उर्मिला की ऊपर से पहली रैंक आई है? अभी तक तो नीचे से____।” कुमार सर(मुस्कुराते हुए)- “जी हाँ। घर आने से पहले तक तो यही लग रहा था कि उर्मिला की पहली रैंक आई है।पर घर आकर पता चला आप दोनों की पहली रैंक आई है।आप दोनों को ढ़ेरों बधाई और शुभकामनाएं।”

Last Updated on May 28, 2021 by anilkr8888

  • अनिल कुमार निलय
  • प्र०प्रधानाध्यापक
  • राजकीय उ० मा० वि० सराय आनादेव प्रतापगढ़
  • [email protected]
  • अनिल कुमार निलय,राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सराय आनादेव प्रतापगढ़-230144
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