न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

कविता का काम स्मृतियों को बचाना भी है – अशोक वाजपेयी

Spread the love
image_pdfimage_print

हिन्दू कालेज में हमारे समय की कविता पर व्याख्यान

दिल्ली। कविता का सच दरअसल अधूरा सच होता है। कोई भी कविता पूरी तब होती है अपने अर्थ में जब पढ़ने वाला रसिक, छात्र,अध्यापक या पाठक उसमें थोड़ा सा अपना सच और अपना अर्थ मिलाता है। सुप्रसिद्ध कवि, संपादक और विचारक अशोक वाजपेयी  ने उक्त विचार हिंदी साहित्य सभा हिंदू कॉलेज के वार्षिक साहित्यिक आयोजन ‘अभिधा’ के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए।  “हमारे समय की कविता” विषय पर  वाजपेयी ने वर्तमान समय का ज़िक्र करते हुए कहां कि जब आप अपने समय का जिक्र करते हैं उसी का अर्थ वर्तमान समय होता है। लेकिन कविता के वर्तमान समय की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि कविता का वर्तमान समय इतना सीमित नहीं होता है क्योंकि वर्तमान से पहले भी कई कविताएं पढ़ी जा चुकी होती हैं। वर्तमान में पहले के मुकाबले एक बुनियादी अंतर को बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले समकालीनता और आधुनिकता का दबाव नहीं था  पर समय के साथ हिंदी में यह दबाव बढ़ा था कि समकालीनता, यानी अपने समय काल को व्यक्त करना है।

समकाल के बारे में वाजपेयी  ने कहा कि समकाल के दो – तीन अर्थ देखे जा सकते हैं। सर्वप्रथम आजकल जो भी पूर्व मैं पढ़ा जा चुका है वह भी समकाल का ही हिस्सा था। दूसरा अर्थ यह भी बताया कि जो इस समय लिखा जा रहा हो या रचा जा रहा हो वह भी समकाल का एक हिस्सा था। समकालीनता का तीसरा अर्थ समझाते हुए उन्होंने व्यापक राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक समकाल परिस्थितियों का दबाव भी साहित्य पर देखे जाने को बताया । उन्होंने आगे जोड़ा कि आज अपने समय के साथ-साथ आत्म तथा समाज, इनको भी लिखना और एक तरह से ऐसा लिखकर अपनी समकालीनता से मुक्त होने की भी कोशिश आज थी।

उन्होंने कविता के अलग-अलग लक्ष्यों पर विचार करते हुए  बताया कि कविता का एक काम याद रखना,याद दिलाना और याद को बचा कर रखना है। दुर्भाग्य से ऐसे समय आ गया है जहां ऐसी राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक शक्तियां सशक्त होते जा रहीं हैं जो यही चाहती हैं कि हम वही याद रखें जो उनके संकीर्ण लक्ष्यों को साधे और उस व्यापक याद से वंचित हो जाए जो हमारे समाज और संस्कृति की बहुलता का प्रतीक है। इसलिए कविता का यह बेहद जरूरी काम हो जाता है।

वाजपेयी  ने कहा कि दिए हुए यथार्थ के साथ एक वैकल्पिक यथार्थ की कल्पना करना भी कविता का दूसरा काम है। कविता का यथार्थ बिना कल्पना के पूरा नहीं होता और पूरी तरह से हो भी नहीं सकता। उन्होंने बताया कि कविता अपने समय की सच्चाई तो दिखाती है पर कविता सपना भी दिखाती है। उन्होंने कहा कि कविता का काम मनुष्य के कुछ बुनियादी सपनों जैसे स्वतंत्रता का सपना न्याय का सपना मुक्ति का सपना आदि को सक्रिय जिंदा व सजीव रखने का भी होता है।उन्होंने बताया कि समय से बाहर जाने की हमारी इच्छा और समय को लांघने की हमारी चाहत को कविता पूरी करती है। कविता का एक काम यह भी है कि वह हमें समय की घेराबंदी से मुक्त कर दूसरे समय में ले जाए। इसको समझाते हुए उन्होंने आदिकाल की बात उठाई और यह भी जोड़ा कि कबीर और तुलसीदास के समय को छूने की कोशिश हम कविताओं से ही कर सकते हैं। कविता  के गुण को बताते हुए उन्होंने कहा कि कविता ने हमेशा से प्रश्न करने की क्षमता रखी है। प्रश्नांकन की शुरुआत कविता ने उस समय की जब प्रश्न करना एक तरह से देशद्रोह के बराबर था।  उन्होंने कहा कि बदलते समय और बदलते हालात से हर कविता को जूझना होता है।

वाजपेयी ने कहा कि कविता इस संसार में घटित होते हिंसा, दुख को तो व्यक्त करती ही है पर इस संसार की सुंदरता का भी वर्णन करती है। कविता संसार का गुणगान भी करती है और कविता एक ऐसा माध्यम है जिसने स्त्रियों, दलित,आदिवासी आवाज़ों को शामिल किया और यह न सिर्फ कविता को अप्रत्याशित अनुभव,  संसार, जीवन छवियों और मर्म प्रसंगों की ओर ले जाती है बल्कि उसमें ऐसा अनुभव व्यक्त करती है जो नवीन और बिल्कुल अलग था। 

इससे पहले विभाग के प्रभारी डॉ पल्लव ने वाजपेयी का स्वागत करते हुए कहा कि निराशा भरे इस दौर में साहित्य के कर्तव्यों की बात करना साहित्य के विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है। उन्होंने हिंदी साहित्य सभा की गतिविधियों के सम्बन्ध में भी बताया। प्रश्नोत्तर सत्र में वाजपेयी ने कलावाद और अन्य प्रश्नों पर विस्तार से विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए। आयोजन का सञ्चालन विभाग के अध्यापक डॉ धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने किया तथा वाजपेयी का परिचय द्वितीय वर्ष की छात्रा तुलसी झा ने दिया। आयोजन में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के साथ साहित्यकार और साहित्यप्रेमी भी उपस्थित हुए। आयोजन को गूगल मीट के साथ फेसबुक पर भी प्रसारित किया गया।  अंत में प्रथम वर्ष के ही छात्र कमल नारायण ने धन्यवाद ज्ञापन किया। 

शुक्रवार को अभिधा के दूसरे दिन उच्च अध्ययन संस्थान के अध्येता और प्रसिद्ध आलोचक प्रो माधव हाड़ा ‘भक्तिकाल की पुनर्व्याख्या की जरूरत’ विषय पर व्याख्यान देंगे। 

Last Updated on April 22, 2021 by srijanaustralia

  • श्रेया राज
  • छात्रा, प्रथम वर्ष
  • प्रथम वर्ष  हिंदी विभाग, हिन्दू कालेज, दिल्ली  
  • [email protected]
  • हिन्दू कालेज, दिल्ली  
Facebook
Twitter
LinkedIn

More to explorer

2025.06.22  -  प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता  प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ  --.pdf - lighttt

‘प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता : प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रतिभागिता प्रमाणपत्र

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता पर  दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन संपन्न प्रयागराज, 24

2025.06.27  - कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण - --.pdf-- light---

कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि के अवसर  परकृत्रिम मेधा के दौर में

light

मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष 2025-26 के अंतर्गत मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर

Leave a Comment

error: Content is protected !!