यूं नहीं युग मे कोई भी
स्वर सा गूंजता बन ईश्वर
सत्यार्थ ।।
जाने कितनी ही दुःख
पीड़ा से पड़ता जिसका पाला
युग वर्तमान स्वर की सत्य
साधना अवतार आत्मा की परम यात्रा करना चाहता समाप्त।।
स्वार्थ अहंकार आततायी
अमानवीय युग काल का दानव दुर्दांत।।
आत्मा की परम यात्रा
कठिन चुनौती काल, चाल ,समाज।।
सिद्धान्त ,मान्यता रुढ़ियों की चाक
पर घूमता बनते बिगड़ते समीकरण
जीवन मृत्यु का काल।।
चाहे सत्य सनातन अवतार हो
चाहे सिद्धार्थ बुद्ध का महाप्रयाण
परशुराम अन्याय विरुद्ध न्याय अवतार।।
राम मरती मर्यादा का मर्यादा अवतार
कृष्ण अनैतिक समाज में नैतिक युग
समाज का सत्य सत्यार्थ भगवान।।
युग काल के परिवर्तन काल
नियति की संस्कृति संस्कार ।।
निरंतर प्रबाह कभी- कभी मानव
आत्मा परमात्मा की जीवन यात्रा
युग परिवर्तन प्रवर्तक प्रमाण।।
काल की कराल विकराल परीक्षा
काल बड़वानल आग सागर से निकलता संयम संकल्पों स्वयं
सिद्धांत उद्देश्य पथ पर बढ़ता
युग परमार्थ यथार्थ।।
जीजस आत्मा की परम यात्रा
परमात्मा स्वर ईश्वर करुणा, क्षमा, सेवा दानवता दर्द दंश दहसत वेदना
की चेतना प्रकाश परमात्मा।।
अज्ञानी, अन्यायी ,अत्याचारी पराकाष्ठा का पवित्र क्रॉस
स्वयं किया स्वीकार।।
आततायी अन्यायी के आत्म
अहंकार की ज्वाला अग्नि को
कर दिया राख।।
युग मे नई चेतना जागृति जागरण का
युग शंखनाद चैतन्य आत्म शक्ति का शाश्वत जीजस दानवता में मानवता का भाग्य भगवान।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
Last Updated on April 2, 2021 by nandlalmanitripathi
- नंन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
- प्राचार्य
- भारतीय जीवन बीमा निगम
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- C-159 दिव्य नगर कॉलोनी पोस्ट-खोराबार जनपद-गोरखपुर -273010 उत्तर प्रदेश भारत