दिल दुनियां के रंग अनेकों
किस रंग खेलूं होली
मईया ओढे चुनरी रंग लाल
केशरिया बैराग किस रंग खेलूं होली।।
रंग हरा है खुशहाली हरियाली पहचान
खुशियों का अब रंग नही है
जीवन है बदहाल किस रंग खेलूं
होली ।।
रंग गुलाबी सौंदर्य सत्य है
दिलों मे द्वेष, मलाल बहुत है
किस रंग खेलूं होली ।।
शुभ पीत रंग शुभ समाज संग रुदन क्रंदन का वर्तमान है किस रंग
खेलूं होली।।
रंग बसंती राष्ट्र प्रेम का चोला
देश मे ही शत्रु गद्दार हज़ार
किस रंग खेलूं होली।।
श्वेत रंग है सेवा शान्ति
त्याग परमार्थ लूट अशांति
और स्वार्थ की दुनियां आज
किस रंग खेलूं होली।।
आत्म बोध का श्याम रंग है
सांवरिया भी दंग है कैसी
रची दुनियां कैसा हुआ जहाँ
किस रंग खेलूं होली।।
रंग काला नियत नीति न्याय
प्रतीक अन्धेरा निराशा चहुं ओर
अन्याय का हाला प्याला बोल बाला किस रंग खेलूं होली।।
अरमानो का नीला एम्बर
अरमानों की नीलामी जलती
होली किस रंग खेलूं होली।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
Last Updated on March 28, 2021 by nandlalmanitripathi
- नंन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
- प्राचार्य
- भारतीय जीवन बीमा निगम
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- C-159 दिव्य नगर कॉलोनी पोस्ट-खोराबार जनपद-गोरखपुर -273010 उत्तर प्रदेश भारत