न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

बवंडर” ए सोसियल स्टोरी

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Title
Khwab bhi kitana ajib hota hai,chalate huye insan ko sapano ki duniya me pahuncha deta hai.Mai aisa is liye kah raha hun ki jindagi ki karbi lakin sachchi bat bhi yahi hai,agar yah sapane na hote.To sayad Ridham ke tar tut jate,ya fir insan itana akela ho jata ki khud ki bastbikata nahi samajh pata.
Sahi hin to hai ki khwab ke panahagah me insan khud ko itana to majbut kar leta hai ki sari duniya use chhoti lagane lagati hai.Wo har raste se rista bana leta hai,jo ki kabhi us se anjan the.tabhi to ek kavi ke,ek lekhak ke hriday se nikala hua tarang kisi ko bhi apane me dubo le jata hai.

Thanks
Madan Mohan

 

साथ तो चलना चाहिए,यही तो जिन्दगी का मूल मकसद है!
पर वाह रे इंसान,अपनी ही फितरतो से परेशान है,भूल जाता है,हां यही तो कहना श्रेष्ठ होगा कि इंसान कुदरत् का बनाया हुआ प्रकृति के लिए नायाब सा तोहफा है!
बुढन काका अपने ही रौ मे बोलते जा रहे थे!
सामने बैठे हुए गाँव वाले जीस में ओरत मर्द,बच्चे बुढे सभी थे,ध्यान लगा कर काका की बातों को सुन रहे थे,पर एक वो था जो कि शायद बुधन काका की बातों को नही सुन रहा था,या फिर सुन कर भी अनसुनी कर रहा था!
हाँ वो खयालो की दुनियाँ में खोया हुआ था,ख्याल भी ऐसा जो कि किसी के भी जीवन में सतरंगी रंग विखेर दें!नाम था राजीव,गाँव के ही सोहन ठाकुर का लङका,पढाई की थी बी काँम तक,लेकिन आरक्छन के मकरजाल में फंस कर रह सा गया था,पिताजी बोलते थे कि बेटा बिजनेस में आजमाईस कर,लेकिन कहते है न कि युवा खून के रंग ही अलग होते हैं!
वैसे रामपुरा गाँव प्राकृतिक दृष्टी से भङा पुरा गाँव है,उसपर सोहन ठाकुर आर्थीक दृष्टी से भङे पुरे और रसूख बाले इंसान है और जैसा कि हर पिता चाहता है,वैसे वो भी चाह रहे थे कि राजीव उनके सल्तनत् को आगे बढाए! लेकिन राजीव की सोंच ही अलग थी,वो गाँव की ही लङकी सान्या को दिल दे बैठा था,और उसी को लेकर सपने बुनता रहता था!आज भी वो सपने की दुनिया मे खोया था!
सान्या अनाथ लङकी थी,वो अपने बुढी माँ के साथ साधारण से घर मे रहती थी!
गाँव का नियम था कि हर शनिवार को देश,धर्म और राजनीति पर परिचर्चा होता था,आज भी शाम को वरगद के पेङ के निचे परिचर्चा हीं हो रहा था,लेकिन राजीव तो बस सान्या के खयालो मे खोया हुआ था!ऐसा नही था कि सान्या उसे नही चाहती थी,वो भी राजीव को दिल में बसा रखी थी,आखीर ऐसा हो भी क्यों नही,दोनो हीं गाँव की श्रेष्ठ जोङी थे!
मैं समझता हूं कि कदम दर कदम साथ चलने से ही समाज का,राज्य का और देश का संपुर्ण विकास संभव है,बोलने के साथ ही बुधन काका खांसे,उनके खांसते ही राजीव की तंद्रा टुटी,फिर वो उठ कर खङा हो गया,उसने भी सोंच लिया था कि वो भी आज बोलेगा,बल्कि बोल कर ही रहेगा,उसके मन में जो कङवाहट भङा परा है,वो आज उसे वाहर निकाल हीं देगा!
वो आगे बढा और चौपाल के करीब आ गया,वो कहना चाहता था सो कहता ही चला गया,आप लोगो ने सुना कि काका ने कहा कि सब साथ चले तो राष्ट्र का विकास तिगुनी गति पकर लेगा,लेकिन आज हालात विल्कुल हीं अलग है,आज समाज हो,राज्य हो या फिर राष्ट्र हो,हर कोई अपने स्वार्थ की रोटिंया सेंक रहा है,आज योग्यता से ज्यादा वोट समीकरण महत्वपुर्ण हो गए है,हर कोई हर एक दुसरे के हक्क की रोटी मार कर खा जाना चाहता है,आज समाज कई टुकरों में बंट चुका है!एक विरादरी दुसरे विरादरी से तिकरम् करने से वाज नही आता,तो फिर सवका साथ सवका विकास कब होगा!
सुन कर भीङ ने तालियां बजाई,तो राजीव के स्वर और भी उंचे हो गए!वो बोला,इसलिए मैं ने सोंच लिया है कि मैं अपने जैसे लाखो युवको से संपर्क करूंगा और नई रननीति लाकर सबको साथ लाने की कोशिश करूंगा!हालांकि यह काम मुश्किल तो जरुर है,पर असंभव तो बिल्कुल नही!
राजीव जब चुप हुआ तो पुरी गांव सभा उत्साहित होकर ताली बजा रही थी!आखीर सभा की समाप्ती हुई,
शाम का हल्का सा धुन्धलका छाने लगा था,चिंङिया भी झूंड के झूंड घोशलें की ओर लौट रहे थे!गांव सभा समाप्त होने के साथ ही सभी गांव बासी घरों को लौट गए ,लेकिन राजीव!राजीव का मन तो चकोर की भांति था,जो अपने चंदा के उगने का इन्तजार कर रहा था!शाम के धूंधले आवरण ने रात का अंधेरे का रूप ले लिया,मानो कि प्रकृती ने स्याह चादर ओढ ली हो!राजीव का दिल तेज रफ्तार से धङकने लगा,तभी दूर कहीं कोयल ने मधुर सा राग छेरा,और इधर राजीव का दिल तेज गति से पेण्डुलम के कांटे की भांति हिलने लगा!
वो उठा और अमराई के झूंड की ओर बढ गया,दिल की धङकन ने मानो तो सौ की स्पीड पकर ली थी,एक अजीब सा एहशास था अपने प्रीयतमा से मिलने का!वैसे तो वो दोनो रोज ही मिलते थे,लेकिन विछङने की घङी युगो सा हो जाता था,सान्या और राजीव की जोङी थी ही अलग,विल्कुल एक दुजे के लिए बने,एक दुजे मे एकाकार और साकार रूप,और यह दिल ही तो है जिसने उसके कदमो की गति को बढा दी!
गांव काफी विकसीत है,रौशनी,पक्की सङक और भौतीक सुविधाओं से लैस,लेकिन गांव से दूर अमराई में अंधेरा था,चंदा की शीतल चांदनी भी अमराई में फैले अंधेरे के दिवार को तोरने में असमर्थ थी!राजीव पहुंच हीं गया अमराई में,उसने देखा कि पेर के झूंड के पास कोई इंसानी छाया है,बस वो दौर कर उस छाया को बांहो में भर लिया!
रूको बाबा!इतने उतावले क्यों हो रहे हो!
उतावले ना हो तो क्या करें,दिल है कि मानता नही,राजीव ने शरगोशी की!
लेकिन मैं कहां भागी जा रही,मैं तो बस तुम्हारी हूं और तुम्हारी रहुंगी,सान्या खनकते हुए शब्दो को तोल कर बोली!
यही तो,यही तो हमेसा मुझमे भय समाया रहता है कि तुम मुझसे कहीं दूर ना हो जाओ,उतावला होकर राजीव बोला और सान्या को आगोश में समेट लिया!दोनो एक दुजे के बांहो में खो से गए,पवन देव भी ठंढी हवाओं के आवेग से दोनो के पवीत्र प्यार को आशीर्वाद दे रहे थे!जब दोनो का जी हल्का हुआ तो दोनो एक दुजे से अलग हुए!तब राजीव बोला,चलो सान्या तलाब के मुंडेर पर बैठतें है!
चलो,सान्या ने संछीप्त सा उत्तर दिया!
दोनो तलाब के किनारे आकर एक दुजे के करीब बैठ गए!
फिर उन दोनो के बीच गहरी चुप्पी सी छा गई!
चंदा की रौशनी मे तलाब का चमकता पानी और दूर झिंगुर की अवाज, मानो वातावरण मे छाए चुप्पी को भेदने की कोशिश कर रहा था!दिशाँए मौन थी!राजीव कभी कभी कंकङ फेंक कर तालाब से अपने मौन प्रश्नो का उत्तर पाने की कोशिश कर रहा था!
लेकिन व्यर्थ,प्रश्न को तो खूद हीं सुलझाना परता है और इंसान अपने प्रश्नो का खुद ही उत्तरदाई होता है!अंधेरा धीरे धीरे गहराता जा रहा था,और जटील होते जा रहे थे वो प्रश्न,जो उसे उध्देलीत कर रखे थे!
तो क्या सोंचा है तुमने राजीव?सान्या ने प्रश्नो के तीर चलाएं!
किसके बारे में!राजीव चिहुंक कर बोला!
अपने बारे में,हम दोनो के बारे में,कब तक यूं ही छुप छुप कर मिलेंगे हम दोनो?हम दोनो के प्यार को परवान चढे चार बर्ष हो चुके है!आखीर कब तक हम यूं ही मिलते रहेंगे?सान्या उत्तेजीत होकर बोली!
मैं समझ सकता हूं तुम्हारे भावनाओं को!
लेकिन समझने से हीं नही जीवन के अध्याय पुरे हो जातें है,बोलते बोलते सान्या व्यग्र हो गई!
मुझे थोरा सा मौका और दो,राजीव गंभीर होकर बोला!
लेकिन कितना?सान्या और भी व्यग्र हो गई!
जानु विस्वाश भी करो ना,मैं जल्द हीं कोई ना कोई रास्ता निकाल लुंगा,बोलते बक्त राजीव के स्वर में ढृढता थी!एक पल को दोनो के बीच फिर चुप्पी का साम्राज्य छा गया!तब सान्या बोली कि हमें चलना चाहिए!रात काफी हो चुका है!
बस !इतना हीं,राजीव लंम्बी सांस लेकर बोला!
हां मेरे प्राणनाथ,सान्या चहक कर बोली!
तो चले,राजीव खङा होकर बोला,सुन कर सान्या भी उठ खङी हुई,और दोनो एक दोनो के बांहो में बांहे डाले पगदंडी पर बढ चले!
यह इश्क जो है न् कुदरत का बनाया हुआ नायाब तोहफा है इंसान के लिए,लेकिन यह भी हकीकत है कि जब इंसान प्यार के जाल में फंसता है,तो लिपटता हीं चला जाता है,यह जो इश्क है न् कितनो की हस्ती बना डाली और कितनो की हस्ती विखेङ दी,इश्क वो शै है,जिसके चाल को आज तक कोई समझ ही नही पाया!
खैर चाहे जो भी हो,है तो दिल का मर्ज बुरा,लेकिन इस के विना जिन्दगी भी तो अधुरी है,तभी तो बरे-बरे तपश्वी,ग्यानी, कवि और शायर इसके राहों में फना हो गए!फना होना अगर भँवङे का मुकद्दर है,तो इस भय से वो कलिंयो के पास जाना नहीं छोङता ना!शायद यही हाल सान्या और राजीव के दिल का भी था!गांव आ चुका था,चारो ओर रौशनी का सम्राज्य था,ना चाह कर भी दोनो ने एक दुजे को आलींगन में लिया,चुमा और अलग हो गए!सान्या अपने घर की ओर और राजीव अपने घर की ओर बढ चले!
ठाकुर विला की दस गांव में गूंज थी,राजीव जब बंगले में प्रवेश किया तो सामने ही ढ्योढी में सोहन ठाकुर आराम चेयर पर बैठे शीगार पी रहें थे,पुरा बंगला रोशनी से जगमगा रहा था!
राजीव को देख कर सोहन ठाकुर की भवें तन गई!
कहां से आ रहे हो वर्खुर्दार?
पापा!वो मैं दोस्तो के साथ,राजीव शालीनता से बोला!
मैं जानता हूं कि तुम सान्या से मिल कर आ रहे हो,रुआवदार स्वर में ठाकुर साहव बोले!
जी पापा!राजीव ने संछीप्त सा उत्तर दिया!
ठीक है खाना खा कर मेरे पास आ जाओ!इस बार ठाकुर साहव के स्वर में नर्मी थी!
जी पापा! बोलने के साथ ही राजीव आगे बढ गया!
ठाकुर बिला अंदर से अति भव्य था!राजीव जभी हाँल में पहुंचा,उसकी माँ सुनन्दा देवी भागती-भागती आई,वो सबसे ज्यादा राजीव को हीं चाहती थी!राजीव की एक बहन थी शुरभी जो काँलेज में रह कर पी एच डी कर रही थी!हलांकि सोहन ठाकुर के लिए दोनो हीं आँखो के तारे थे!
सुनन्दा देवी ने डायनिंग टेवल पर खाना लगा दिया,तब तक राजीव फ्रेश होकर आ गया और चेयर पर बैठ कर खाने लगा!सुनन्दा देवी प्रेम से उसे खिलाने लगी,बीच बीच में वो अलक मलक की बातें पुछती रही,जिसके जबाव में वो हां ना करता रहा,खाना खाने के बाद वो बाहर आ गया और ठाकुर साहव केे सामने बैठ गया!थोरी देर तक दोनो के बीच चुप्पी छाई रही,जिसे ठाकुर साहव ने तोरा!
राजीव!
जी पापा!
आगे क्या सोंच रख्खे हो?बोलते बक्त ठाकुर साहव गंभीर थे!
मैं ने सोंच लिया है कि सिस्टम से लङुंगा! राजीव ढृढता से बोला!
लेकिन यह राह काफी मुस्किल है!
उसके बारे में सोचुंगा!वो वेफीक्री से बोला!
बिना कोई योजना के तुम कभी भी सफलता हांसील नही कर पाओगे!ठाकुर साहव चिंतीत होकर बोले!
पापा मैं जो भी करुंगा,आपके दिशा निर्देश में ही करूगा!राजीव ढृढता से बोला!
सुन कर ठाकुर साहव के चेहरे पर शांति छा गई!थोरी देर तक दोनो ही आने बाले समय के पदचाप को महसूस करने की
कोशिश में चुप्प हो गए!दोनो के बीच अजीब सी खामोशी पसर गई!
थोरी देर बाद ठाकुर साहव ने ही फिर चुप्पी तोरा!
सान्या के लिए क्या सोंच रखते हो?
जी पापा!मैं समझा नहीं,राजीव झिझकता हुआ बोला!
अरे वावले!मैं ने जान लिया है कि तुम दोनो एक दुजे को चाहते हो,दुनिया के नजरों से छुप छुप कर मिलते हो!मैं नही चाहता कि तुम दोनो का प्यार यूं ही दम तोर दे!बेटे मैं ने दुनिया को करीब से देखी है,मैं ने अगर तुम्हारे सपनो के फँख काट डाले!तो मेरे हाथ कुछ भी नही आएगा!बेटे मैं औरो की भांति टूट कर विखङना नही चाहता ,वल्कि मैं तुझमे खुद की तश्वीर देखना चाहता हूं, बोलते बक्त ठाकुर साहव काफी गंभीर थे!
ओह मेरे अच्छे पापा,यु आर सो ग्रेट!बोलने के साथ हीं राजीव उठा और ठाकुर साहव के कदमो के पास बैठ कर उनके गोद मे सिर रख दिया!ठाकुर साहव उसके बालो में अंगुली फेरने लगे!
सुवह सुवह ठाकुर विला में काफी चहल कदमी थी!नौकर चाकर भाग-भाग कर तैयारी मे जुटे थे!जी नहीं आप लोग सोंच रहे होंगे कि यह उत्सव की तैयारी है,तो ऐसा नहीं था! बात तो यूं था कि राजीव ने अपने युनिवर्सिटी के सभी छात्र-छात्राओं को बुलाया था,और इसमे ठाकुर साहव की पुर्ण सहमति थी!दस बजते बजते ठाकुर कंपाउण्ड विद्धार्थी से भङ गया!आयोजन का कमांड निखील और सम्यक ने संभाला था!उत्सुकता बस गांव के भी अधेर बुढे और बच्चे जमा होने लगे थे!
धीरे धीरे वो वक्त भी आ गया जिसका सभी इन्तजार कर रहे थे!सभी उत्सुकता के साथ ठाकुर बिला के लाँन को देख रहे थे!तभी सम्यक उस टेवल के पास आकर खङा हो गया और माईक थाम कर बोला!
लेडीज एंड जेंटल मैन,मैं सुरुआत करना चाहता हूं उन यक्छ प्रश्नो को जो कि हम सभी के लिए बीष वेल बन चुका है!उससे पहले हमारे प्रिय मित्र राजीव आ कर आप लोगो को संवोधीत करेंगे!
सुन कर राजीव एक पल को खामोश रहा,लेकिन जब ठाकुर साहव ने इशारा किया तो वो आगे बढा,टेवल के पास आकर माईक थामता हुआ बोला!मेरे प्यारे साथीयों हम अनुग्रहीत है और आप लोगो के यहां आने पर हार्दीक अभिनन्दन करते है!मैं जिस गाँव में पला-बढा हूं,जहां पर शिक्छा प्राप्त की है उन सभी जगहों पर हमे भरपुर प्यार और सम्मान मिला है,और यही कारण है कि आप लोग मेरे एक बुलाबे पर हीं यहां आकर खङे हो गए है!आगे हमारे प्रिय मित्र सम्यक बोलेंगे!
सुन कर सम्यक एक पल को चुप रहा फिर माईक थाम कर बोला!जो मैं आप लोगों को बताने जा रहा हूं,मुझे राजीव ने उसके फैक्ट समझाए थे!सुन कर एक पल को मैं भी अवाक् हो गया!
समझ नही आया कि क्या प्रति उत्तर दूं! जब समझ आया तो परिणाम आपके सामने है!आप लोग मेरे सामने हैं!अब फैशला आप लोगों को करना है कि हमारा साथ देंगे कि नही?
हां माय डियर फ्रेण्ड यह हमारा हीं नही,वल्कि आप लोगो के जीवन से भी जुङा है!यह यक्छ प्रश्न है!इस बार निखील बोल रहा था!वो आगे जोश में बोला!यह कैसी विडम्बना है कि भारत के राजनीति ने भारत के ही अंग को छिन्न-भिन्न कर दिया है! आज कुर्सी के लिए नेताओं ने समाज को तोर कर अनेक भागों में विभक्त कर दिया है!आज स्वार्थ की रोटी सेंकने के लिए आरछ्ण रुपी रेवरी खुब बांटी जाती है!परिणाम टैलेंट धुमील हो चुके है! आज नौकरी के लिए पढाई नही वल्कि जाति का प्रमान पत्र चाहिए!
हां और इस लिए आप लोग बताएं कि हमें क्या करना चाहिए!इस बार सम्यक उत्तेजीत होकर बोला!
हम सभी मिल कर सरकार की नितियों का विरोध करेंगे!
हां-हां हम लोग विरोध करेंगे! भीङ ने एक साथ सहमति जताई!
हां और इस लिए हमलोगो ने योजना बनाई है कि हम लोग कल सुवह बाईक रैली निकालेंगे और जिला कलेक्टरी तक जाएंगे!वहां पर शभा संबोधीत करेंगे!वहां से ही आगे की योजना का प्रारुप तैयार करेंगे!निखील मजबुत शब्दो में बोला!
भीङ उत्साहित नजर आ रही थी! तभी बुधन काका भीङ से उठ कर आगे बढ कर टेवल के पास पहुंचे!माईक थामा और धीमे स्वर में बोले!पहले तो मैं ठाकुर साहव को साधुवाद देना चाहुंगा, जिन्होने बच्चो के भावनाओं को समझा और इतना सफल आयोजन किया!साथ ही मैं आज आप लोगों को कहना चाहुंगा!आप लोग जो भी करना चाहतें हो समझदारी पुर्वक करो!हम लोगो का मार्गदर्शन हमेसा आप लोगो के साथ है!
सुन कर ठाकुर साहव आगे आकर माईक थाम कर बोले!मैं समझता हूं कि आज युवा देश का भविष्य हैं! मैं उन मे खुद की छवि देखता हूं और मैं आप लोगो के कदम से कदम मिला कर चलने की कोशिश करुंगा!
ठाकुर साहव ने जब माईक रखा तो भीङ किलकारी मार कर अपनी खुशी जता रही थी!क्रमश: बहुत से युवाओं ने अपने विचार रख्खे!आखिर में भोजन का क्रम चालु हुआ!घीरे-धीरे भीङ छटने लगी थी!
सारे कार्यक्रमो को निपटाते हुए शाम हो गई!दिन भङ की भागदौर से मानो सुर्य देव थकावट महसूस कर रहे थे और अश्तांचल में जाकर विश्राम करने की सोंच रहे थे!आज ठाकुर साहव के घर पर मेहमानो का जमावङा था!सच और यही कारण था कि राजीव का दिल वल्लियो उछल रहा था!यह प्रीत वैरण है हीं ऐसी कि जब लग जाती है तो दिन का चैन और रातो की निंद उङ जाती है,तभी तो इस प्रेम की लौ में राधा तरपती रह गई,और कृष्ना ने तो मानो अपने वाँसूरी की अवाज को ही खो दिया!
खैर जो भी हो,ना आज तक प्रेम के रहश्य को कोई समझ सका है,और ना ही कोई समझ पाएगा!शाम ने भी धीरे से अंधेरे के आगोश में शरण ले ली!व्याकुल हृदय को ठंढक सी मिली और राजीव सबसे छुपता-छुपाता गांव से वाहर अमराई की ओर बढ गया!पैर तो जमीन पर ही पर रहे थे!लेकिन खयाल उसे सान्या के पास खींच कर ले जा रही थी और पता ही नहीं चला कि अमराई कब आ गई!वो तो चौंक ही गया,दिल धक्क से रह गई!बात ही कुछ ऐसा था,सांस तेज-तेज चलने लगी!हां यह हुआ इसलिए कि सान्या ने उसे पिछे से बांहो में जकङ लिया!
यह जो दिल की आँखे है ना,तिलिश्म की तरह काम करती है,वो अपने दिलवर को बिन देखे ही पहचान लेती है!सांसे भी कहां कम है,दिल वालो के लिए सेंसर का काम करते है! फिजा में लाखो ही सुगंध क्यों ना हो!अपने दिलवर के गंध को पहचान हीं लेता है!राजीव ने धङकते हुए दिल को संभालने का अशफल प्रयास करते हुए बोला!सान्या,तुम भी ना किसी दिन मेरी जान लेकर ही मानोगी!
मरे तुम्हारे दुश्मन!सान्या ने राजीव के होठो पर अंगुली रख कर बोली,जानु ऐसा तो फिर कभी ना बोलना!सान्या मानो आरजु कर रही हो!ऐसे बोली!
यह इश्क है ना,इसमे बरा हीं रिश्क है!दिलवर के होठों से निकली हुई ऐसी कोई भी बात,जो कि बिछङने के बिंदू को इंगीत करे,दिल तरप ही जाता है!सान्या को घबङाया हुआ देख राजीव ने उसे खींच कर बांहों में भर लिया और शरगोशी की!धत्त पगली मैं तो मजाक कर रहा था और एक तु है कि घबङा ही गई!
घबङाउ नहीं तो क्या करु?तुम क्या जानो कि दिल का मर्ज क्या होता है?मैं विरहन सी तुम्हारी वाट देखती रहती हूं!
जी हां,मैं क्या जानु!जानता तो मैं यह हूं कि तुम्हारे बिना सांस लेने की दुश्वारियां है!इसलिए तो तुम्हे घर ले जाने की कर ली तैयारियां है!राजीव ने मुस्कुरा कर बोला!फिर वो सान्या के होठो को अपने होठो के बीच फंसा लिए और प्रेम शुधा पीने की कोशिश करने लगा!मिनट दर मिनट गुजर गए लेकिन प्यास नही बुझनी थी,सो नही बुझी!काफी समय बाद दोनो एक दुसरे से अलग हुए और तलाब के मुंडेर पर एक दुजे के पास सट कर बैठ गए!मानो फिर कभी अलग नही होंगे! यह प्रेम की ही ज्योती है,जो कि भगवान को भी विबस कर देता है!दोनो यूं ही अलक-मलक की बातें करते रहे!यूं ही समय गति से चलता रहा और वह वक्त भी आ गया,जब दोनो को अलग होना था!
यह इश्क वो दरिया है,जहां डूब के जाना है,दो गुमनाम मुसाफीर है और दिल का रोग पुराना है! सच यही तो होता है!कब वक्त निकल गया,पता ही नहीं चला और समय आ गया अलग होने का!दिल नहीं मानता,लेकिन दुनियां की बंदिशें है!वो दोनो धङकते दिलो से अलग हो गए!
सुवह होते ही ठाकुर साहव के बंगले के पास वाईक सबार नवयुवक इकठ्ठा होने लगे!दस बजते बजते तो जहां नजर डालो,वहा तक वाईक और युवाओं का ही झुंड नजर आ रहा था!रैली का वक्त एग्यारह बजे निर्धारीत की गई थी!वो वक्त भी आ गया,जब युवाओं को मुख्य सङक होते हुए जिला मुख्यालय पहुंचना था!निखील,सम्यक और राजीव ने रैली की वागडोर संभाली!आगे ठाकुर साहव अपनी जिप्सी में थे!जिप्सी पर युवा मोर्चा का वैनर लगा था!
तय समय पर युवा मोर्चा ने अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान किया!युवा शक्ति वो है,जो देश की दशा और दिशा तय करती है!सच भी तो है,यह युवा शक्ति ही तो है,जब अपने पर आ जाए,मजबुत से मजबुत राजनैतिक पार्टी को भी घूटनो पर ला देती है! खैर जो भी हो,अभी तो हो यह रहा था,कि यह रैली जैसे-जैसे आगे बढ रही थी,एक विशाल मानव समूह का रूप लेती जा रही थी! ठाकुर साहव इस विशाल जन समूह को देख कर फुले नही समा रहे थे,जबकि युवाओं का जोश उनके जोशीले नारे का रुप ले रहा था! कमी थी,तो बस किसी भी बात को तुल देने बाले मिडिया की! वो भी पुरा हो गया!
कहते हैं ना कि समाज में हलचल हो और मिडिया हाउस अछुती रहे!यह संम्भव ही नहीं है!तुरन्त ही मिडिया हाउसों की टीम भी पहुंच गई!वे लोग इस युवा जोश को कवर करने में लग गए ! लेकिन उनका उद्धेश्य उनके मुलभूत भावनाओं को कवर नहीं करना,अपितु अपने टी आर पी को बढाना था!जिसमे वो लोग अंशत: सफल भी हो रहे थे!धीरे-धीरे यह काफिला जिला मुख्यालय पहुंच चुका था! आनन फानन में मुख्यालय के सामने मँच का प्रबंध हो गया!पुलिस बल को तो समझने में ही समय लग गया कि यह जो बला है,विशाल जन समूह के रुप में रुपान्त्रीत होकर क्योकर आई है! थोरी ही देर में पुलिस के आला अधिकारी भी आ गए!माजङा समझते उन्हे देर नहीं लगी!अब उनलोगो का ध्यान उमङ आए जन समूह को कंट्रोल करना और कार्यक्रम को सुचारु रुप से संपन्न कराना था!
सो वे सभी व्यवस्था कायम रहे,इस प्रयास में लग गए!
मंच पर जो युवाओं का नेत्रृत्व कर रहे थे,वो लोग आ-आ कर अपने विचारों को रखने लगे!मिडिया हाउस उन लोगो के वक्तव्य का लाईव प्रशारण कर रही थी!समय की गति बढती रही!और उसी क्रम में भीङ भी बढ रही थी!बढते हुए भीङ को देख कर पुलिस बालो के हाथ पांव फुल गए थे!तभी सभा समापन के रूप में ठाकुर साहव मंच पर आए और अपने ओजीले स्वर में बोले!
साथियो,मैं मानता हूं कि हम आपके बीते हुए कल है और मेरा मानना है कि बीते हुए कल के आवाज में आज की आवाज नही दवाई जा सकती!
मैं समझता हूं कि आज का आवाज यही है कि युवा प्रतिभा को आरक्छण रुपी तलवार से क्यो कर काटा जाए!क्या यही है सबका सम्मान,समान रुपी विकास,तो मैं कहुंगा कि नहीं,यह गलत है!आज राजनैतिक स्वार्थ सिद्धी के लिए समाज में बीष वेल को बोया गया है,जो हमारे समाज को टुकरे-टुकरे बिभाजीत कर देगा!अत हम लोगो ने निर्णय लिया है कि देश के कोने-कोने में जाकर इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज को उठाएंगे!बोलो जय हिन्द!
जय हिन्द,जय हिन्द!
सभा समाप्त होते-होते दोपहर ढलने लगा था!जैसे सुर्य देव जाते-जाते वातावरण मे अपनी गर्मी और उष्णता छोर जाते है!सेम युवाओं की इस सभा ने किया था!राजनीति के केन्द्र बिंदू में हलचल ला दी थी!बांकी का काम मिडिया हाउस ने आग में घी डाल कर कर दिया था!सभा समापन के समय ठाकुर साहव ने बोला कि आगे कि रणनीति हम आगे तय करेंगे और आप लोगो को इसके बारे में सुचना दी जाएगी!सभा का समापन हुआ!सभी अपने-अपने घरो की ओर लौट चले!लेकिन राजीव,राजीव तो कहीं खोया हुआ था!वो शोपींग मोल की ओर बढ चला!उसे सान्या के लिए मोबाईल, एसेसरीज एवं उपहार जो लेना था!
राजीव के लिए शहर का वातावरण नया नहीं था! वो शहर में ही रह कर पढा लिखा था!वो सीधा शोपींग मोल में घुसा!मोल में काफी भीङ थी!लेकिन उसे इन चीजों से कोई मतलब नहीं था!उसने तो सान्या के लिए मोबाईल,लैपटाँप और श्रृंगार की बस्तु खरीदी!बील पेमैंट की और बाहर निकलने लगा!लेकिन मिडिया वाले उसे सूंघते-सूंघते वहां पहुंच गए!
आप ही राजीव हो?आज तक की एंकर सुचिता अग्रवाल ने सीधा सा सवाल दागा!
यस!मैं ही राजीव हूं,लेकिन आपकी तारीफ?
मैं सुचिता अग्रवाल,आज तक की एंकर!
बोलिए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं?
आपको मेरे सवालो के जबाब देने होंगे!
लेकिन क्यों?राजीब झल्ला कर बोला!
वो इसलिए राजीव बाबु कि आपने सिस्टम पर सवालात खङे किए है, तो जबाब भी तो आपको हीं देना होगा!सुचिता मुस्कुरा कर बोली!
पुछिए!क्या पुछना है आपको!
मै बस आपसे चंद सवाल करुंगी!जिसके जबाब पुरा देश सुनना चाहता है!
ठीक है,आप जो भी सवाल करेंगी,मैं समुचीत उत्तर देने का प्रयाश करुंगा!राजीव निर्णायक स्वर में बोला!
राजीव का इतना बोलना था कि कैमरे की फोकश उस पर हो गई!आपने कितनी पढाई की है राजीव बाबु! सुचिता का पहला प्रश्न था!
बी काँम,मगध युनिवर्सिटी से!
आगे भी पढाई जारी है?
हां मैं पी एच डी के लिए अप्लाई कर चुका हूं!
पर सुनने में आया है कि आपको शीट नही मिली!इस लिए पुरे सिस्टम को ही सवालों के कटघङे में डाल दिया!इसबार सुचिता का स्वर तीव्र था!
नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैडम!यह मेरे अकेले की लङाई नहीं है! आज समान्य वर्ग का हर वो युवा जो कि प्रतिभा संपन्न है!वो इस सिस्टम की मार से त्रश्त है!आखीर यह हमलोगो के साथ क्योंकर होता है!यह जानना हमारा अधीकार है!
तो फिर आप क्या करोगे?
मैं अपनी आवाज को हर गली,हर नुक्कर बल्कि देश के हर कोने तक पहुंचाउंगा!मैं आज के युवा की आवाज बनुंगा!
धन्यवाद राजीव बाबु,जो आपने हमे अपना बहुमुल्य वक्त दिया!बोलने के साथ ही सुचिता कैमरे के सामने हो गई!हां तो आप सभी ने हमारे न्युज चैनल पर आज के युवा आवाज को सुना!अब देखना यह है कि इनकी आवाज लटकते-भटकते कौन सा रुप लेती है!दिलचश्प यह भी होगा कि आज की राजनीति इसे स्वीकार करती भी है कि नही!आज तक व्युरो रिपोर्ट छपरा!
पत्रकारो से पीछा छुटते ही राजीव अपने गाङी की ओर बढा,सामान गाङी मे रखा और गाङी को श्टार्ट करके गांव की ओर तेजी से मोङ दिया!सुर्य देव ढल कर अपने अश्तांचल की ओर जा रहे थे!लेकिन आज के जनशभा ने जलजला सा ला दिया था!देश के हर कोने में एक ही चर्चा था कि अब क्या होगा!सभी नेगेटीव और पोजीटीव दोनो रुप से इसमें संभावनाओं की तालाश कर रहे थे!
शहर का वो बिल्डींग जो कि भव्य था!भारतीय जनतांत्रीक गठबंधन का मुख्यालय था!शाम होने के साथ ही बिल्डींग रौशनी से जगमगा उठी थी!लेकिन आँफिस में किसी प्रकार का हलचल नही था!गेट पर खङे दो चौकीदार अपनी डियुटी को अंजाम दे रहे थे!तभी दुर सङक पर इनोवा कार चमकी और फिशलती हुई बिल्डींग के अहाते में रूक गई!गाङी का गेट खुलने के साथ जो शख्श उतरे,वो थे राजनिति के धुरी प्रवीन धारवार!वे पार्टी के मुख्य शचीव थे और जिलाध्यक्छ भी!वो तेजी से उतर कर गलियारे की ओर बढ गए!
इस वक्त उनके चेहरे पर परेशानी की रेखा को स्पस्ट देखा जा सकता था!वो तेजी से चलते हुए अपने आँफिस में प्रवेश कर गए!वहां पर पहले से ही सुधांसु सरकार मौजुद थे!वे चिंता मग्न आँखो को बन्द किए हुए थे!पदचाप सुनकर उनकी तंद्रा टुटी!तो आप आ ही गए!उन्होने सीधा सा सवाल प्रवीन धारवार की ओर उछाला!
जी महाशय!
और आपको आश्चर्य भी हुआ होगा,मुझे यहां देख कर?
विल्कुल नही श्रीमान!प्रवीन ने उनके प्रश्नो का उत्तर दिया!
आप भले ही आश्चर्य चकीत ना हो!पर मैं आपके कार्य से जरुर आश्चर्य चकीत हूं!
लेकिन क्यो?
आप तो ऐसे सवाल पुछ रहे है,जैसे आपको जानकारी ही ना हो!बोलते वक्त सुधांसु सरकार का स्वर कठोर हो चला था!
मै भी बिगङे हुए हालात को समझ रहा हूं,लेकिन यह सब इतनी तीव्र गति से हुआ कि हमें समझने का मौका ही नहीं मिला!प्रवीन जी धीरे से बोले!
आप तो यह बोलकर जिम्मेदारी से छीटक लेंगे!लेकिन मै क्या करु? मै प्रदेश प्रभारी हूं,शिर्ष नेत्रृत्व हमसे जवाब मांग रही है!बोलिए क्या जबाब दिया जाए?
जबाब क्या देना है?हम परिस्थिती को नियंत्रीत करने की कोशिश तो कर हीं रहे है!प्रवीन जी सामने बाले चेयर पर बैठते हुए बोले!
आप तो बस चुप हीं रहिए!आप जानते है,आम चुनाव सिर पर आ पहुंचा है!ऐसे में यह जो परिस्थिती बना है,हमारे लिए घातक है! हमारे सारे जातिय समीकरण बिगङ गए है!सुधांसु सरकार आवेश में बोले!
तो आप चाहते क्या है?
मेरे चाहने से कुछ भी नही होगा!प्रवीन जी हम दोनो को दिल्ली बुलाया गया है!
ठीक है ना,तो फिर चलते है!प्रवीन जी निश्चिंत होकर बोले!फिर दोनो के बीच खामोशी पशर गई!
इधर जब राजीव गांव पहुंचा तो रात के दश बज चुके थे!राजीव परेशान था,दिलरुवा से मिलने के लिए!लेकिन रात ज्यादा बीत जाने के कारण यह विल्कुल संभव ना था!इसलिए उसने हाथ पैर धोए,अनमने भाव से थोरा सा खाया और अपने कमरे में आकर सो गया!थोरी सी वेचैनी के बाद नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया!
सपना भी कितना विचीत्र होता है,जगे में आता है,तो सोने नहीं देता!नींद मे आता है,तो पुरे करने की जीद्द लग जाती है! सपने में राजीव ने देखा कि उसने जिस क्राति की मशाल जलाई है, उसका रौशनी फैलता ही जा रहा है!पुरा भारत वर्ष उस रौशनी में भीग चुका है!अपनी शफलता से वो अभीभूत है,उसने लोकसभा के चुनाव की तैयारी की है!उसके समर्थीत उम्मीदवार चुन लिए गए है!सदन में वो प्रवेश करता है और समय आ जाता है!वो सपथ ले रहा है,कि वो देश के सम्मान रक्छा करने के लिए जी जान लगा देगा! समाज में फैले बुराईंयों को समाप्त करेगा!युवाओं के स्वर्णीम भविष्य के लिए संविधान में अमुल चुल परिवर्तण करेगा!तभी वो देखता है कि सान्या उससे दूर जा रही है!वो लाख कोशिश करता है!लेकिन सान्या को नही रोक पा रहा है!तभी उसके आँखो पर तेज प्रकाश परता है और वो चीखता है!
और चीख कर राजीव उठ बैठा!तो देखा कि सुवह हो चुका था सुर्य देव आशमान पर चढ आए थे!उन्ही की तेज रौशनी ने मानो उसे जगाया हो!थोरी देर तक बौखलाहट में वो खिङकी से बाहर देखता रहा!फिर सामान्य होकर उठा और बाथरुम की ओर बढ गया!जब तक वो फ्रेश होकर ड्राईंगहाँल मे आया!उसकी माँ ने टेवल पर नाश्ता लगा दिया था!अनमने भाव से उसने थोरा सा नास्ता किया,दो चार घूट काँफी पी और जो वैग उसने खरीद कर सान्या के लिए लाया था!उठा कर बाहर निकल गया!
चाहत में इंसान जोश और उमंग से इस तरह भर जाता है कि राह की हर मुस्किलें आसान लगती है! तभी तो रौशनी की चाहत में पतंगा अपनी जान गंवा देता है और उसकी लौ में जल जाता है!खैर जो भी हो,राजीव अमराई में पहुंच चुका था! उसने शंदेश भेजा था,सान्या को मिलने आने के लिए!अमराई मे दूर-दूर तक शांति का समराज्य स्थापीत था!जिसे कभी-कभी कोयल अपने मधुर अवाज से भंग कर देती थी!दिन के दस बज गए थे,उसने सामान एक साईड रख्खा और आम के पेर के निचे बैठ गया!लमहा-लमहा समय आगे खीसकने लगा!
इंतजार भी कितना अजीब शब्द है, दुसरे को करना परे,तो पता ही नहीं चलता और जब खुद को करना परे,तो एक-एक पल एक युग के समान महसूस होता है!उसमें भी अगर मामला दिल का हो,तो तौबा-तौबा!राजीव की नजर एक टक ही गाँव की तरफ से आ रहे पगदंडी पर थी!वेचैनी से उसका बुरा हाल था,तभी दूर पगदंडी पर सान्या दिखी!मानो तपते हुए रेगीस्तान में बारिश की बुन्दें परी हो!तन मन ने मिठी अंगङाई ली!सान्या के पास आते ही राजीव उठा और उसे बाँहों में भर कर वेतहाशा चुमने लगा! यही तो वह प्यास है,जो कभी नहीं बुझती!यही तो चाहत की विशेष खासियत है!
अरे मेरे सोना,रुको भी,सान्या खूद को नियंत्रीत करती हुई बोली!
कैसे रुकु जानु,तुमसे विछङने की पीङा मुझे व्याकुल कर देती है! राजीव थङथङाते लफ्जों में बोला!
मेरे सोना,यही तो प्यार है!सान्या राजीव से अलग होकर बोली!फिर दोनो जमीन पर ही बैठ गए!तब सान्या बोली!अच्छा,अब बताओ कि मुझे क्यो बुलाया!
अजी खाश ही तो है,तभी तो बुलाया है!राजीव ने शरगोशी की फिर साथ लाए बैग को खोलने लगा!सान्या बस उत्सुकता बस देखे जा रही थी!देखते ही देखते उसने लैपटाँप,मोबाईल एसेसरीज एंव एक पैकेट उसके सामने रख दिया!
लेकिन इन सब चीजो की क्या जरुरत थी?सान्या धीरे से बोली!
जरूरत थी,तभी तो लाया हूं!जिस प्रकार से मुझे जनता की प्रतिकृया मिल रही है!मैं ने सोंच लिया है,पुरे देश में व्यापक स्तर पर मुहीम चलाउंगा!ऐसे में हमदोनो हप्तो दूर रहेंगे!ऐसे में यही वो साधन है,जिस के द्वारा दूर होकर भी हम पास पास होंगे!राजीव बोलने के बाद मुस्कुराया!
लेकिन इस बैग मे क्या है?सान्या कुतुहलता वस बोली!
आपके लिए सुन्दर सा लहंगा!तुम्हारा परसो बर्थडे है ना!पापा ने बोला है!बंगले पर मनाएंगे!इसलिए लेता आया!
लेकिन यह तो काफी महंगा होगा?सान्या विचलीत होकर बोली!
जानु तुम भी ना!अरे प्यार में मोल भाव नहीं होते!बस दिल को सुकून मिले,यही किमत है!राजीव बोलते वक्त दार्शनीक हो गया!
फिर दोनो घंटो बैठे यूं ही अलक-मलक की बातें करते रहे!यह प्यार है ही ऐसी चीज,जो इंसान को शब्दो की रचणा करना सिखला देता है!समय की शीमा खत्म हो जाती है,लेकिन खत्म नही होता है,तो प्रेमी हृदय मे समाया हुआ शब्द! जो होंठों से भी वयां होता है!आँखो से भी वयां होता है!जो भी हो,मोहब्बत है,बहुत जानदार चीज!
दिल्ली का पाश इलाका!भारतीय जनतांत्रीक गटबंधन का मुख्यालय!रात के दस बज चुके थे!पुरा ही मुख्यालय रौशनी से नहाया हुआ था!इस वक्त मुख्यालय के मीटिंग हाँल मे मीटिंग चल रही थी!वहां पार्टी के कुल दस सीर्ष अधीकारी बैठे थे!जिसमे सुधांसु सरकार और प्रवीन भी थे!मीटिंग हाँल का माहोल काफी गर्म हो चुका था!तभी अध्यक्छ महोदय ने धीमी आवाज में बोला!जिनका नाम सोहन कांडी था!
सुधांसु जी,आप अपनी जिम्मेदारी से यूं नहीं छिटक सकते!
तो मैं भी कहां अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा हूं!सुधांसु सरकार तीव्र स्वर में बोले!
सुधांसु जी,प्लीज नार्मल होकर बोलें!आपने उस लङके से कोन्टेक्ट किया!उसे समझाया,आपने परिस्थिती को किस प्रकार ट्रीट किया!आप हम लोगो को समझाएंगे!सोहन कांडी धीमे स्वर मे बोले!
श्रीमान परिस्थिती का एकाएक ऐसे निर्माण हुआ कि हम कुछ भी समझ ना पाए!जब समझने की कोशिश की,तो आपने हमें दिल्ली बुला लिया!सुधांसु सरकार के स्वर में तीखाश थी!
दिल्ली नही बुलाते,तो क्या करते!जिस जाति-पाति और आरक्छण के बेस पर हम लोग राजनीति करते है और सत्ता सुख पातें है,वो किला ही हिलने लगा है!इस बार उपाध्यक्छ अरवींद त्रीपाठी बोले!
हां त्रीपाठी साहव ने ठीक ही कहा है!हमारे मुख से निवाला छीन जाएगा!आप समझ रहे है ना!मैं क्या बोल रहा हूं!सोहन कांडी इस बार अधीर होकर बोले!
हां मैं समझ रहा हूं श्रीमान!
तो फिर कुछ किजिए,जाईए उसे डराईए,धमकाईए,नहीं माने तो फिर मैं समझता हूं कि आपको समझाने की जरुरत नहीं है!इस बार अरवींद त्रीपाठी बोले!
हम समझ गए श्रीमान कि हमें क्या करना है!त्रीपाठी साहव को प्रवीन ने जबाब दिया!फिर काफी देर तक वहां चुप्पी छाई रही!
शाम होते-होते ठाकुर साहव का बिला दुल्हन की तरह सज संवङ कर तैयार हो चुका था!आज सान्या की बर्थडे पार्टी थी और ठाकुर साहव ने खुद ही इसका आयोजन किया था!सभी भागदौर कर रहे थे,तैयारियों को लेकर!खुद राजीव का पैर एक जगह टीक नहीं पा रहा था!शहर से राजीव की बहन भावना भी आ गई थी!पुरी की पुरी ठाकुर हवेली उत्शव के रंग में रंग गया था!शाम का अंधेरा घीरते ही महेमान भी आने लगे!महेमानो को संभालने की जिम्मेदारी निखील और सम्यक के माथे थी और वो दोनो इसको बखुबी निभा रहे थे!तभी वहां पर सान्या अपनी माँ के साथ आई!उसने गुलाबी रंग का जङीकाम किया हुआ लहंगा पहेना हुआ था! जिसमें वो गुलाब की कली सी लग रही थी!
आगे बढ कर भावना ने उनका स्वागत किया!राजीव की माँ तो सान्या की बलांएँ लेने लगी! फिर सभी ड्राईंग हाँल की ओर बढ चले!तभी कंपाउण्ड के बाहर शोर उभङा और तेज होता चला गया!करीब थोरी ही देर बाद बीसो कमाण्डर जीप्सी तेजी के साथ बंगले के कंपाउण्ड में रुकी!जब तक ठाकुर साहव या अन्य कुछ समझ पाते!गाङी से उतरे सैंकरो की भीङ ने तोर फोर मचाना सुरु कर दिया!भीङ उग्र हो चुकी थी!निखील और सम्यक ने बाहर निकल कर प्रतिरोध करना भी चाहा!लेकिन ठाकुर साहव ने रोक लिया!बाहर इक ही नारा लग रहा था!
आरक्छण है अधीकार हमारा!
हम खून वहा देंगे!
जो छिनेगा अधीकार हमारा!
हस्ती उसकी मीटा देंगे!
सोर का गुंज इतना बढ गया था कि धीरे-धीरे गाँव बाले भी आने लगे!फिर तो गाँव बाले ने विरोध करना सुरु किया!टकराब धीरे-धीरे मार पीट में बदल गई!गाँव बालो का संख्या धीरे-धीरे बढता ही जा रहा था!गाँव बालो को देख निखील,सम्यक और राजीव भी बाहर आ गए!दोनो पक्छ के अधीकांस लोगो को चोटें लगी!गाँव बालों का विशाल भीङ देख उपद्रवीयों ने भागने में ही भलाई समझी!तबतक न्युज चैनल बाले भी आ चुके थे! इस घटना का लाईव प्रसारण होने लगा!घायलो को गाङी मे लाद-लाद कर अस्पताल पहुंचाया जा रहा था!पुलिस भी मौके पर आ गई थी! ठाकुर साहव ने अग्यात लोगो के विरुद्ध शिकायत लीखवाई!
हर्ष और उल्लास का महौल गम में बदल चुका था!लेकिन ठाकुर साहव ने अनुरोध करके सान्या का बर्थडे शेलीव्रेट किया!माहोल बोझील हो चुका था!सान्या भी परिस्थिती को भांप चुकी थी!आशंका से उसका गला सुखा जा रहा था!वो समझ नही पा रही थी कि इस समय वो खुशी मनाए,अथवा गम का मातम!घायलो को अस्पताल ले जाया गया था!देर रात निखील,सम्यक और राजीव लौटे!उन्हे देखते हीं ठाकुर साहव व्याकुल होकर बोले!
क्या हुआ बेटा?
चिंता की कोई बात नही है पिताजी!गांव बाले साधारण घायल है!कल सुवह सब को हाँश्पीटल से छुट्टी मिल जाएगी!राजीव आश्वस्त होकर बोला!
चिंता की तो बात है हीं बेटा!गांव बालो ने हमारे लिए अपनी जान जोखीम में डाली है!पैसे की चिंता मत करना राजीव,बस वो लोग सकुशल वापस आ जांए!बोलते वक्त ठाकुर साहव की आवाज कांप गई!
जी पिताजी!
और हां,उन उपद्रवीयों का पता चला!कहा से आए थे?
नही पिताजी,पर डी एस पी साहव ने बोला है कि वे जल्द हीं पता लगा लेंगे और उन लोगो के खिलाफ ठोस कार्यवाई करेंगे!राजीव एक हीं सांस में बोल गया!
भईया,मेरे विचार से हमें बरे वकील से संपर्क करना चाहिए!भावना आगे बढ कर बोली!
लेकिन क्यों?
इसलिए कि आपने जो क्रांति के बीज बोएं हैं!वो राजनैतिक हस्ती को चुभते होंगे!इसलिए आपके विचार को कानुन का कवच जरुरी है! भावना बोली!
लेकिन इसके लिए हमें करना क्या होगा?
कुछ नहीं,बस हम लोग कल सुवह पटना के लिए निकलते हैं!वहां अधिवक्ता वैभव त्यागी से मिलेंगे!वो दूर के हमारे ताया श्री हैं!वो जरुर कोई ना कोई रास्ता निकालेंगे!सम्यक बोला!
ठीक है,तो कल सुवह चलते हैं!
इसके बाद उनलोगो के बीच वार्ता पर विराम लग गया!वे सभी अपने-अपने गंतव्य की ओर चल दिए!दुसरे दिन,सुवह के ग्यारह बज गए थे!अधिवक्ता वैभव त्यागी अपने आफिस में बैठे फाईलो मे खोए थे!उनका आफिस गोलंबर के पास श्रधा अपार्टमेंट मे तीसरे मंजील पर था!तभी उनके औफिस में राजीव, सम्यक,निखील और भावना ने प्रवेश किया!उन्हे देख कर वैभव साहव आश्चर्यचकीत हो गए!उन्होने उन लोगो का स्वागत किया,बिठाया और आने का कारण पुछा!
जबाब में सम्यक ने सुरु से लेकर अबतक सारा घटना क्रम सुना दिया!सुन कर थोरी देर तक तो त्यागी साहव सोंच में डुबे रहे!फिर शांत स्वर में बोले!
मेरे बच्चो,आप लोगो के विचार सुन कर काफी हर्ष महसुस कर रहा हूं,पर यह कोई साधारण कार्य नही हैं!एक प्रकार से सिस्टम को चुनौती देना है!इस लिए सबसे पहले दो कार्य करने होंगे!
क्या अंकल?सम्यक गंभीर हो गया!
पहले तो आपको युनिटी बनानी होगी!इसके लिए नये पार्टी का गठन अति आवस्यक है!दुसरा हमें कोर्ट मे एफीडेवीट फाईल करना होगा! त्यागी साहव गंभीर थे!
लेकिन इसके लिए हमे क्या करना होगा!राजीव कुतुहल्तावस पुछा!
कुछ खाश नहीं!वो काम मैं आज हीं किए देता हूं!आपलोग वेटींग रुम में बैठो!फिर हमलोग निकलेंगे!
शाम तक राजीव,निखील,सम्यक, भावना और त्यागी साहव सरकारी कर्यालयों में भागदौर करते ही रहे!
हाईकोर्ट ने उनके लीगल नोट को स्वीकार कर लिया था और सुनवाई के लिए दस दिन बाद बुलाया था!नवीन मोर्चा के नाम से नया पार्टी का भी गठन हो गया था!जब यह बात मिडिया हाऊस को मालुम चला,तो नए विवाद ने जन्म ले लिया!शाम का अंधेरा घीरते-घीरते यह समाचार पुरे देश में फैल गई!आरक्छण के पक्छ और विरोध में टीवी डीवेट होने लगे!देर रात गए राजीव,सम्यक,निखील और भावना अपने गांव लौटे!राजीव ठाकुर साहव को नए हालात की जानकारी देने ठाकुर साहव के पास चला गया!बांकी सभी अपने अपने रुम की ओर बढ चले!
थोरे दिनो के हलचल ने ही समाज में दो धुरी का विरोधाभाष पैदा कर दिया था!हलचल इतना बढ गया था कि देश के कोने कोने से हिंसक घटनाओं के समाचार मिडिया पटल पर छा गए! वो मुख्यमंत्री का मुख्यालय था!इस वक्त मीटिंग रुम मे उभङे हुए नए हालात पर चर्चा हो रही थी!मुख्यमंत्री विलाश बाबु,गृहमंत्री रमण बाबु और सीर्ष अधिकारी इस समय मंथन कर रहे थे कि जो हालात बने है,उससे कैसे निपटा जाए!
कमीस्नर साहव,अभी जो हालात बने है,वो काफी भयावह है!विलाश बाबु बोले!
लेकिन सर,इसके जिम्मेदार भी तो हम ही लोग हैं!हम ने अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने के लिए समाज को कितने ही भागों में विभक्त कर दिया!परिणाम हमारे सामने है!एेसा तो इक दिन होना ही था! रमण बाबु गंभीर होकर बोले!
गृहमंत्री साहव,जो हो गया,उसके लिए अपराधी को ढूंढने का समय नही है यह!हमे यह सोचना होगा कि हालात कैसे काबु में आएंगे! अगले महीने से आम चुनाव है और मैं नहीं चाहता कि समाज में वैमनस्यता बढे!विलाश बाबु गंभीर होकर बोले!
लेकिन इसके लिए तो राजनैतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है!डी जी पी अभय मिश्रा बोले!
आपके कहने का तात्पर्य, किस तरफ इशारा है आपका!विलाश बाबु बिचलीत होकर बोले!
कहा ना,कि मजबुत राजनैतिक शक्ति के अलावा अब इसका कोई हल नही है!आपको इस आरक्छण रुपी सुरसा को खत्म करना होगा, जो हमारे सामाजीक संरचणा को निगल रहा है!मिश्रा साहव तीव्र स्वर मे बोले!
नहीं-नहीं,मैं ऐसा नहीं कर सकता!ऐसा करके मैं अपना जनाधार खो दूंगा!आम चुनाव सिर पर है!इस वक्त मैं ऐसा नही कर सकता!वेचैनी में पहलु बदल कर विलाश बाबु बोले और पानी का ग्लास उठा कर होठो से लगाया एवं एक ही सांंस मे खाली कर दिया!
तो आप क्या करेंगे?मिश्रा साहव का स्वर गंभीर था!
मैं इस पीटीसन के विरुद्ध लरुंगा!रमण बाबु आप एक काम करें,राज्य के सबसे श्रेष्ठ वकील को हायर किजिए!मैं इस मामले में कतई कोताही नही बर्दास्त कर सकता! हा और मिश्रा साहव आप लायन और्डर को कंट्रोल किजिए!बोलने के बाद विलाश बाबु शांत हुए!फिर वहां शांति छा गई!
ठाकुर साहव के वंगले का लाँन,इस वक्त वकील वैभव त्यागी,राजीव,सम्यक और ठाकुर साहव बैठे थे!सुवह का समय, वायुमंडल मे शांति विखङा हुआ था!लेकिन उन लोगो का हृदय विचलीत था!
आखीर ठाकुर साहव से नही रहा गया!वे बोले,अब क्या होगा त्यागी साहव?
होना क्या है,हम पुरी मुस्तैदी से केस लङेंगे!
लेकिन सरकार ने तो जानेमाने अधिवक्ता मधुर सहाय को चुना है!राजीव विचलीत होकर बोला!
तो इसमें चिंता की कोई बात नही है!सरकार का नैतीक दाईत्व है कि वो अपना पक्छ दावे के साथ रख्खे!फिर तो यह पहला कदम है!अभी तो हमें बहुत से रुकावटो को झेलना है!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले!
यस अंकल,आपका कहना विल्कुल ठीक है!अभी ही हमने हार मान लिया,तो आगे का डगर काफी मुश्किल होगा!सम्यक ढृढता से बोला!
हां मैं यही बोल रहा हूं!आप लोग निश्चिंत होकर आम चुनाव की तैयारी करें!मैं कोर्ट की प्रकृआओं को हैंडल कर लूंगा!त्यागी साहव गंभीर होकर बोले!फिर उनलोगो के बीच चुप्पी छा गई!तभी भावना नास्ता और काँफी प्लेट में सजा कर आ गई!वे लोग नास्ता करने में व्यस्त हो गए!
भारतीय संविधान के अनुसार चुनाव प्रकृया और तीथि का घोषना हो गया!सभी राजनैतीक दल अपने-अपने अभियान में लग गए!राजीव ने भी कमर कस लिया था!साथ ही ऐसी हस्तीयां भी थी,जो कि राजीव को पर्दे के पिछे से सपोर्ट कर रही थी!हलचल ऐसा हुआ कि भारत के बरे भू-भाग में राजीव के समर्थको का विशाल झुंड बन गया!
राजीव,सम्यक,निखील और भावना भारत के अलग अलग छेत्रो में जाकर चुनावी सभा करने लगे!राजीव ने अपने पार्टी के तरफ से दो सौ उम्मीदवार को मैदान में उतारा था!उसके वाकपटुता के कारण न्युज चैनल बाले उसे ज्यादा कवर कर रहे थे!चुवाव का दिन ज्यों-ज्यों नजदीक आता जा रहा था!राजनैतीक दलो की वेचैनी भी बढती जा रही थी!
दिन भर की भागदौर से जब राजीव देर रात होटल में लौटता था!तो दो काम जरुर करता था!एक तो वो मम्मी पापा का हाल चाल जान लेता था!फिर वो सान्या के साथ बातें करने में लग जाता था!दिन भर उसने जो किया,उसे बतलाता था!फिर प्यार की पेंगे बढने लगती थी!लेकिन मिलन की प्यास फोन काँल से कैसे बुझे!फिर रह जाते थे दोनो तरपते हुए!रात का का आलम यूं ही गुजङ जाता था!
भारतिय जंनतात्रीक गठवंधन का मुख्यालय,सुवह से ही वहां हलचल थी!मीटिंग हाँल में पत्रकारो की पुरी फौज तैयार थी! पार्टी ने अपना घोषनापत्र निकालने के लिए प्रेश कांन्फ्रेंस बुलाया था! दस बजते ही सीर्स नेतृत्व द्वारा पत्रकारो को संबोधीत किया गया!साथ ही घोषना पत्र निकाला गया!घोषना पत्र का मुख्य बिंदू समाजीक समरसता,कानुनी न्याय,गरीबो के लिए योजना और नौजवानो के लिए फिर से ढेर सारे वादो का भंडार!पत्रकारो के प्रश्नो को नेतृत्व ने व्यख्यागत बताया!
दोपहर होते-होते मेरा फलक नाम से मिडिया में घोषना पत्र छा गया!चारो ओर यही चर्चा होने लगी!राजनैतिक पंडीत बिष्लेसन भी करने लगे कि भारतिय जनतांत्रीक गटवंधन को जबरदस्त फायदा होगा!इसके साथ ही सता पक्छ की ओर से शाम तक घोषना पत्र निकाल दिया गया!
बदलते परिदृश्य को ध्यान में रख कर राजीव,भावना,निखील,सम्यक और त्यागी साहव पार्टी कार्यालय में नव निर्वाचीत पदाधिकारी के साथ पार्टी मुख्यालय में देर रात तक माथापच्ची करते रहे कि उनका घोषना पत्र कैसा हो!देर रात गए आम सहमति बनी!रात के दो बजे पत्रकार वार्ता कर उन्होने अपना घोषना पत्र निकाला!टाईटल था,जन-जन की आवाज!
सुवह के सात बजते बजते ढाई करोङ प्रति पार्टी साईड से डाउनलोड हो गए!राजीव एण्ड पार्टी अपने पहले कामयावी से काफी खुश थे!वैसे आज का दिन काफी शुभ था!आरक्छण के पेटीशन पर कोर्ट में सुनवाई थी!वैभव त्यागी तय समय पर कोर्ट पहुंच गए!बाहर न्युज तक की रिपोर्टर सुचिता अग्रवाल ने उन्हे घेर लिया!
सर आप हमे बता सकते है कि आज हाईकोर्ट में क्या होगा? और समाज पर इसका क्या अशर परेगा!
सुचिता जी,जो भी होगा,आप लोगो के सामने आ ही जाएगा!थोरा सा धैर्य रखिए!बोलने के साथ ही वैभव त्यागी कोर्टरुम में प्रवेश कर गए!तभी सुचिता की नजर मधुर सहाय पर परी!वो उनके तरफ लपकी,लेकिन मधुर सहाय कोर्ट रुम में प्रवेश कर चुके थे!सुचिता कैमरे के सामने आकर बोली!
आपने सुना कि आज आरक्छण पर महत्वपुर्ण सुनवाई है और मैं कोर्ट के बाहर खङी रह कर हालात पर नजर बनाए रखुंगी और आपतक अपडेट पहुंचाती रहुंगी!न्युज तक व्युरो रिपोर्ट पटना से सुचिता जैन!
लगातार तीन घंटे के लंबे इंतजार के बाद कोर्ट रुम से वैभव त्यागी निकले!उनके चेहरे पर विजई मुस्कान थी!सुचिता उनकी ओर लपकी!
सर कोर्ट रुम में क्या हुआ?
होना क्या था,केस फाईल कर ली गई है!
तो फिर आगे?
आगे हम दोनो पक्छ प्रतिपक्छ कोर्ट रुम में आरक्छण के विभीन्न पहलुओं को रखेंगे!
तो आपको लगता है कि आप विजई होंगे?
हां जरुर,क्योंकि आज करोङो भारतीय आशा से मेरी तरफ देख रहे हैं! उनका विश्वास ही हमें विजई बनाएगा!वैभव त्यागी ढृढता से बोले और आगे बढ गए!जबकि सुचिता मधुर सहाय की ओर लपकी! शाम होते-होते पुरा प्रकरण पुरे भारत में फैल गया!
दिन पर दिन वीतता जा रहा था!सभी राजनैतीक पार्टीयों ने अपनी पुरी ताकत चुनाव मे लगा दी थी!राजनेताओं ने भाषा के सारी सीमाओं को तोरते हुए जी भङ कर एक दुसरे पर कीचर उछाला!खैर फैशला तो जनता को करना था!पाँच चरणो मे चुनाव संपन्न हो गए!सभी उम्मीदवार की किस्मत इवीएम मे कैद हो गई!
रात के दस बज चुके थे!भारतीय जनतांत्रीक गटवंधन का आफिश खुला था!वहां सभी पदाधिकारी चिंतीत बैठे थे!
तभी सोहन कांडी ने वहां छाई निशब्दता को भंग किया!
आप लोगो ने क्या सोंचा है?
सोंचना क्या है श्रीमान,कल मत गीनती होगी!लेकिन एक्जीट पोल और हमारी गनना बता रही है कि हम लोग बुरी तरह हार रहे हैं!सुधांसु सरकार गंभीर होकर बोले!
तो फिर क्या करे? सोहन कांडी ने गुस्से मे बोला!
मैं कहता था ना,वो लङका बहुत ही खतङनाक इरादें रखता है!साथ ही पर्दे के पिछे से बहुत से हस्ती ने मदद किया!प्रवीन लपक कर बोला!
अब ज्यादा जबान नही चलाईए!उस समय करना था,तो कर नही पाएं!आर पानी वहने के बाद पाल पीट रहें है!कांडी साहव तीव्र गुस्से में बोले!
लेकिन अभी भी बदला तो जरुर लिया जा सकता है!सुधांसु सरकार कुटीलता से बोले!
लेकिन आप करना क्या चाहते हैं!सशंकित होकर कांडी साहव बोले!
वो आप मुझ पर छोर दिजिए!प्रवीन ने सुधांसु सरकार के स्वर में स्वर मिलाया!
समय अपनी गति से आगे बढता रहा!मुख्यमंत्री आवास, विलाश साहव डी आई जी साहव और गृहमंत्री रमण बाबु हाँल में बैठे थे!सभी के चेहरे पर गंभीरता थी!
डी आई जी साहव आप राजीव को जेड प्लस की सुरक्छा तत्काल में मुहईया करवाएं!हार जीत तो चलता ही रहेगा!लेकिन मैं नहीं चाहता कि कुछ अघटीत हो!विलाश बाबु व्यग्र होकर बोले!
चिंता का बिषय तो हैं ही,गृहमंत्रालय के खुफिया जानकारी से मालुम होता है कि राजीव की जान खतरे मे है!रमण बाबु ने विलाश बाबु के स्वर में स्वर मिलाई!
बात खतरे तक सीमीत होता तो बात अलग थी!लेकिन उसको अगर खरोंच भी आई,तो जनता चुप नही बैठेगी!समाज मे जलजला आ जाएगा!देश मे लायन आँर्डर इस कदर बीगरेगा कि संभालना मुस्किल होगा!विलाश बाबु झुरझुरी सी लेकर बोले!संभवीत भयावह दृश्य की परिकल्पना करके ही वो पसीने से तरबतर हो गए थे!
सर आप निश्चिंत रहे!हम ऐसी कोई अप्रिय घटना नही घटने देंगे!डी आई जी साहव ढृढता से बोले!
फिर वो लोग योजना बनाने लगे कि पार्टी की अगर हार होती है,तो मिडिया को क्या बोलना है! अगले दिन सुवह के छ: बजे ही ठाकुर साहव के बंगले पर भीङ लग गई थी!आज चुनाव का रिजल्ट आना था!राजीव तैयार हो चुका था!तभी सान्या भी तैयार होकर आ गई!दोनो ने ठाकुर साहव के चरण छुए और जीप पर बैठ कर पार्टी मुख्यालय के लिए चल दिए!पीछे से समर्थको का झुंड चला!काफिला मुजफ्फरपुर मेन हाईवे से गुजर रहा था!जीप की स्पीड ज्यादा नही थी!तभी दूर से लहङाता हुआ ट्रक चमका!राजीव कुछ समझता,इससे पहले ट्रक ने जीप को जोरदार टक्कर मारी और तेज गति से आगे बढ गई!
जीप हवा मे उछली और पलटी खाती हुई डीवाईडर से जा टकराई!तभी वहां निखील और सम्यक भी इनोवा कार में आ चुके थे!समर्थको की भीङ एक पल को बुत्त बन गई!तभी जीप से राजीव चीखता हुआ निकला!वो अपने ही खून से भीग चुका था!उसे देखते हीं सभी की तंद्रा मानो टुटी!सभी जीप की ओर लपके!आनन फानन में सान्या को निकाला गया!वो मुर्छीत हो चुकी थी!सम्यक ने दोनो को इनोवा में डाला!फिर गाङी रोड पर फिशलती चली गई!
घटना केंद्र पर पुलिस और मिडिया हाउस आ चुकी थी!भीर उग्र होकर पुलिस के विरुद्ध नारेवाजी करने लगी!न्युज तक की रिपोर्टर ने घटना का लाईव टेलीकाश्ट कर दिया!परिणाम घंटे भर में ही देश मे आग लग गई!जगह जगह तोर-फोर और आगजनी होने लगा!हार कर प्रसासन ने तुरंत प्रभाव से देश में कार्फु लगा दिया!इधर वोटो की गिनती चालु हो गई थी!नवीन मोर्चा के सभी प्रत्यासी काफी मतो से आगे चल रहे थे!
अपोलो हाँश्पीटल पटना!अंदर काफी हलचल था!हाश्पीटल के बाहर नवीन मोर्चा के कार्यकर्ता प्रसासन के विरुद्ध जम कर नारे बाजी कर रहे थे!अंदर हाँल में ठाकुर साहव,निखील,सम्यक और त्यागी साहव थे!सभी के चेहरे को घोर उदाशी ने घेर रख्खा था!डाँक्टरो की टीम भागदौर कर रही थी!अंदर आपरेशन थ्रियेटर मे राजीव और सान्या थे!समय बीतता जा रहा था!इसके साथ ही सबकी वेचैनी भी बढती जा रही थी!हाश्पीटल को पुलिस छावनी में परिवर्तीत कर दिया गया था!
दिन के चार बज चुके थे!नवीन मोर्चा के ढेढ सौ प्रत्यासी ने भारी मतो से विजय प्राप्त की थी!लेकिन उन सबका अध्यक्छ जीवन और मौत से जूझ रहा था!पाँच बजते ही आपरेशन थ्रियेटर की लाईट बुझी!डाँक्टर भदोरिया बाहर निकले,तो ठाकुर साहव उनकी ओर लपके!
डाँक्टर साहव मेरे बच्चे कैसे है?
चिंता की बात नहीं है!राजीव खतरे से बाहर है और वो होश में आ चुका है!आपलोग मील सकते है!
और सान्या कैसी है?ठाकुर साहव कांपते हुए बोले!
कह नही सकते,हम लोग प्रयास कर रहे हैं!बांकी उपर बाले की मर्जी!डाँक्टर भदोरिया गंभीर होकर बोले!
सुन कर ठाकुर साहव के दोनो हाथ जूङ गए!वो रुंआसे होकर बोले! डाँक्टर साहव जान लेनी है,तो मेरी ले लिजिए,पर प्लीज उसे बचा लिजिए!उसके विना तो राजीव टुट कर रह जाएगा!बोलने के साथ ही घूटनो के बल पर ठाकुर साहव बैठ गए और बच्चे की मानिंद रोने लगे!डाँक्टर भदोरिया के समझ में नही आया कि वो क्या बोले!उन्होने लंबी सांस ली और आगे बढ गए!
तब त्यागी साहव ने आगे बढ कर ठाकुर साहव को उठाया!फिर वे लोग उस वार्ड की ओर बढ चले,जहां राजीव को रखा गया था!राजीव के पुरे शरीर पर पट्टी बंधा था!वो शून्य मे देख रहा था!ठाकुर साहव तो एक पल को होश ही खो बैठे!लेकिन त्यागी साहव ने संभाला!
राजीव बधाई हो!अपनी पार्टी के ढेढ सौ उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है!सम्यक अपने आप को संभालता हुआ बोला!
सान्या कैसी है?छीन आवाज में राजीव बोला!
ठीक है,इलाज चल रहा है!निखील ने झुठ बोला!
आपलोग झुठ मत बोलो!सान्या कैसी है? राजीव ने प्रतिकार किया!
सुन कर ठाकुर साहव राजीव के पास बैठ गए और रुंधे गले सेे बोले!बेटा डाँक्टर सब प्रयास में लगे हैं!लेकिन कह नही सकते कि क्या होगा!अब भगवान का ही भरोषा है!ठाकुर साहव अपनी ही रौ मे बोलते जा रहे थे!लेकिन राजीव के आँखो के आगे अंधेरा खींचता जा रहा था!उसने जो सपना देखा था!वो भयावह रुप में उसके आँखो के आगे चरीतार्थ हो गया था!उसके महत्वकांछा रुपी दानव ने उसके सपनो की दुनिया को रौंद दिया था!वो रोना चाहता था,लेकिन आंसु साथ नहीं दे रहे थे!वेदना की वर्छी ने उसके हृदय को तार-तार कर दिया!
तभी वहां पर डाँक्टर भदोरिया आए और मुस्कुरा कर बोले!बधाई हो ठाकुर साहव!सान्या भी खतरे से बाहर है और पुर्ण सुरक्छीत है!इतना सुनना था कि वहां हर्ष के महौल ने दश्तक दिया!निखील और सम्यक ने ठाकुर साहव को उठा लिया और खुशी के मारे किलकारी मारने लगे!त्यागी साहव भी आँखो में छलक आए अंश्रु बिंदू को साफ कर मुस्कुराने लगे!जबकि राजीव ने अपनी पलके मुंद ली!वो अजीव से हर्ष की अनुभुति कर रहा था!

एक भाग पुर्ण

नाम > मदन मोहन ठाकुर
पिता>श्री अमर नाथ ठाकुर
गांव>रतनपुर
पोश्ट>रतनपुर
पो.स> कमतौल
जिला>दरभंगा बिहार इंडिया
मोबाईल>9173001160
emai id. [email protected]

Last Updated on March 1, 2021 by madanmohanthakur45

  • मदन मोहन
  • मैत्रेय
  • सेल्फवर्क
  • [email protected]
  • Vill & po-Ratanpur PS-Kamtaul Dist-Darbhanga Bihar India 847307
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