दिल से बड़ा कोई ताज नहीं…..
क्यों आ के किनारे पर डूबी
कश्ती हमको याद नहीं
बस दर्द-ऐ-मुहब्बत है दिल में
और इसके सिवा कुछ याद नहीं
क्या जाने दिल बेचारा ये
हार जीत क्या होती है
पल -पल जल के हारा क्यों
ये दिल शमा पे याद नहीं
जाने सुकून क्यों मिलता है
अंगारों पे इस दिल को
क्यों आगोश में कातिल की सोया
इस घायल दिल को याद नहीं
तन्हा- तन्हा रोता है
पर करता ये फरियाद नहीं
जिस दिल से मुहब्बत की दिल ने
उस दिल से बड़ा कोई ताज नहीं
सुशील सरना/19.2.21
Last Updated on February 19, 2021 by sarnasushil
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