न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

*हिंदी वर्ण माला के स्वर-व्यंजन का प्रयोग और मेरा गीत *

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*हिंदी वर्ण माला के स्वर व्यंजन का प्रयोग और मेरा गीत *
****************************************

रचयिता :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

*अ* अभी समय है, बिना गवांये,
*आ* आओ जीवन सफल बनायें।
*इ* इधर उधर की छोड़ सभी कुछ,
*ई* ईश्वर की भक्ती कर लो कुछ।
*उ* उर तल में कुछ सुन्दर भर लो,
*ऊ* ऊपर वाले की कृपा को भर लो।
*ऋ* ऋषि मुनि की सीखो बातें अच्छी,
*ए* एक राह तुम चुन लो सच्ची।
*ऐ* ऐसी वैसी नहीं, जो नेक राह हो,
*ओ* ओम नाम का उर में वास हो।
*औ* और कोई चाहे भले ना साथ हो,
*अं* अंग तुम्हारा सही साथ हो।
*अ:* अ: यह कितना सुन्दर होगा,
*क* कभी किसी को कष्ट न होगा।
*ख* खले अगर तो भी सह लेना,
*ग* गलत किसी के लिए न निर्णय लेना।
*घ* घबरायें कभी तो प्रभु नाम जपना,
*ङ्ग* अंगारों पर भले तुम्हे हो चलना।
*च* चलता रहे यह जीवन सुखमय,
*छ* छल व कपट से दूर रहें हो निर्भय।
*ज* जग में सुन्दर स्वस्थ्य रहें सब,
*झ* झगड़े झंझट से दूर रहें सब।
*इयाँ(त्र)* इयाँन अच्छी एक छोटी गाड़ी,
*ट* टले बला जब चलें पिछाड़ी।
*ठ* ठहरो सोचो क्या है करना,
*ड* डरना है या गर्व से है रहना।
*ढ* ढलें मजबूत ऐसे जैसे बैंक लॉकर,
*त* तरना चाहो यदि यह भवसागर।
*थ* थम कर रहना जल्दी न करना,
*द* दम अपना प्रभु भक्ति में रखना।
*ध* धन कुछ लगे निशक्त की सेवा में,
*न* नर ही तो नारायण हैं उनके सेवा में।
*प* परमात्मा का रूप उसे भी जानो,
*फ* फरिश्ता बन दुःखी का दर्द पहचानो।
*ब* बनो मसीहा गरीबों का आशीष पाओ,
*म* मन की सुख शांति को हर दिन पाओ।
*य* यही स्वर्ग है धरती यही नर्क है,
*र* रब काम दे या ज्यादा क्या फर्क है।
*ल* लब पर हो नाम केवल प्रभू का,
*व* वही करेगा बेड़ा पार सभी का।
*स* सत्य राह पर हरदम चलना,
*ष* षड़यंत्रों से दूर ही रहना।
*श* शराफत की पहचान बनो,
*ह* हरदम केवल नेक इंसान बनो।
*क्ष* क्षमा भावना रखना श्रेष्ठ प्रदर्शन,
*त्र* त्रय प्रभु की कृपा का हो दर्शन।
*ज्ञ* ज्ञप्ति बनाये सदा ज्ञानी ही हर जन।।

रचयिता
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
लेक्चरर,पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-नार्थ इंडिया
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता-इंडिया

संपर्क : 9415350596

Last Updated on February 19, 2021 by dr.vinaysrivastava

  • डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
  • वरिष्ठ प्रवक्ता
  • पी बी कालेज
  • [email protected]
  • 156 - अभय नगर, प्रतापगढ़ सिटी, उ.प्र., भारत- 230002
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