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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

*नारी सशक्तिकरण-मेरी बेटी मेरा मान*

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शीर्षक :

@नारी सशक्तिकरण-मेरी बेटी मेरा मान@
************************************
(नारी सशक्तिकरण पर एक रचना)

 

नारी सशक्तिकरण एक फरमान है।
माँ की शक्तियाँ जनता ये जहान है।

इनमें अद्भुत क्षमता ऊँची उड़ान है।
पृथ्वी ही नहीं केवल ये आसमान है।

कौन कहता है कि बेटियां बोझ हैं।
ये किसी की नहीं आप की सोच है।

मेरी नजरों में यह बेटियाँ हैं परी।
कीमती हैं बहुत जग में भी बड़ी।

ये तो अनमोल हैं पापा की जान हैं।
दो घरों की यही तो एक वो शान हैं।

इनको मारो ना तुम यार पैदा होने दो।
इनको पालो पोशों और बड़ा होने दो।

खेलने-कूदने दो व समझदार होने दो।
घरके कामों में इनको निपुण होने दो।

भेजो स्कूल इनको पढ़ाओ जी बहुत।
इनका जीवन संवारो व बढ़ाओ बहुत।

इन्हें काबिल बनाओ देश भविष्य के लिए।
इनकी सेवा तो देखो घर व वतन के लिए।

एक पिता की तरह फिर करो हाथ पीला।
आँखें नम रहेंगी सभी की विदा की बेला।

बच्चों को पालना एवं ढ़ंग से पढ़ाना है उन्हें।
ये वो यज्ञ है जीवन में सब कर न पाते इन्हें।

गर्व करिये कि प्रभु ने दी है बेटी आपको।
जरुरी नहीं कि मिलें बेटियाँ हर बाप को।

अब तक जो घर संवारा था रह कर यहाँ।
अब संवारेगी अपनी ससुराल जाके वहाँ।

बेटियाँ ही तो जो दोनों जहाँ की लाज हैं।
पिता की हैं सिरमौर तो पति की ताज हैं।

इनको सम्मान दो देवियों जैसे पूजा करो।
नवरात्रि में ही केवल न इनकी पूजा करो।

आज की बेटी ही तो कल की होगी वो माँ।
ये बहन हैं,बुआ हैं,मौसी भी और नानी माँ।

इनको पालोगे नहीं तो ये रिश्ता कहाँ पाओगे।
कहाँ पाओगे चाची, बड़ी मम्मी और दादी माँ।

रक्षा बंधन के दिन फिर कहाँ से लाओ गे।
क्या पड़ोसी के घर जा राखी बंधवाओ गे।

यज्ञ कभी होता नहीं पूरा कोई जोड़ी बिना।
होगी शादी कहाँ आप की बेटियों के बिना।

इनको फेंको नहीं, झाड़ियों में जा के कहीं।
ये है बिलकुल गलत,कहीं से भी है न सही।

बेटियों को बचाओ और खूब पढ़ाओ इन्हें।
शक्तिशाली और आत्म रक्षक बनाओ इन्हें।

बेटियां आप की माँ भारती की वो शान हैं।
हर एक घर की व हर माँ-बाप की जान हैं।

छूरहीं आसमां अपने हुनर से आज हर बेटियाँ।
कौन सा क्षेत्र है जहाँ बुलंदी पर नहीं हैं बेटियाँ।

आओ लें एक शपथ मिल के हम आप सब।
इनको पालें गें,पोशें गें और नहीं मारें गें अब।

ये कविता लिखने का तभी मान सम्मान है।
बेटियाँ बने सशक्त व नारियाँ पारही मान है।

 

रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर-नार्थ इंडिया
एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता,प.बंगाल
संपर्क : 9415350596

Last Updated on February 16, 2021 by dr.vinaysrivastava

  • डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
  • वरिष्ठ प्रवक्ता
  • पी बी कालेज
  • [email protected]
  • 156 - अभय नगर, प्रतापगढ़ सिटी, उ.प्र., भारत- 230002
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