आसमान छोटा हो गया है
परिंदों के ख़ातिर
इंसानी दिमाग हो रहा है
धीरे-धीरे शातिर
ज़मी पे अभी पाँव
पूरी तरह रखे नहीं हैं
आसमां में आशियाँ बनाने में
होने लगा है माहिर
अभी तक समंदर की
थाह भी पाई नहीं
अम्बर की दास्ताँ
करने लगे हैं ज़ाहिर
न मालूम ये परिंदे
कभी कुछ सोचते भी होंगे
या बस इतना कि जमीन
पर रहते हैं काहिर
जो बेचतें हैं ईमान
गैरों के हाथों अपना
वे दुनिया भी बेच देंगे
हैं इतने बड़े ताजिर
क्या जाने ये परिंदे
जानते होंगे उसे भी
आसमान में रहता है
जो सबसे बड़ा साहिर
गीता टंडन
6.2.21
Last Updated on February 6, 2021 by geetatandon1
- गीता
- टंडन
- ध्रुव ग्लोबल स्कूल
- [email protected]
- ध्रुव ग्लोबल स्कूल,मालपानी कैंपस ,अकोले रोड ,संगमनेर ,अहमदनगर ,महाराष्ट्र