वो पल
दिल के कोने में
चुपके चुपके झरोखों से,
हवा के साए आये
कुछ गुनगुना गये,
यादें नहीं जाती,
गुजरे हुए पलों की,
ओस की बूंदों सी,
अमलतास के फूलों पर,
अधखिली कलियों से
काँपते अधरों पर,
बिखरते झरते पत्तों से ,
ख्वाहिशों के दामन में ,
फुसफुसाकर कह रहे है ,
पल ये यादें सहेज रहे है ,
ये आशियाना,
छीन न ले कोई,
कभी न जाए दिल से ,
यादें तुम्हारी,
कुम्हलाती धूप भी,
धुंधला न कर पाई ,
शाम की मख़मली,
सुर्ख रोशनी में ,
लगाए रखा है ,
यादों को तुम्हारी,
सीने से हमने ,
अपराजिता की भीनी सौंध
और हरी हरी दूब पर,
उजली निखरी चाँदनी में ,
एक ऐसा पल था,
जब हम साथ थे,
चटकती कलियों ने,
कई राज खोले थे,
आज भी हम न भूले,
तुम्हारी वो सर्द निगाहें, ,
काश आ जाते,
तो मुस्करा देते ये पल ,
कलियाँ बिछ जातीं,
हमारी राह में ,
थम गईं है सांसे,
रुक गई है निगाहें
बरस रही हैं आँखें ,
जिंदा हैं हम क्योंकि,
याद है उन पलो की ,
जो हमारे साथ हैं,
जो हमारे साथ हैं !!!!!!
****पद्मावती ******
Last Updated on February 2, 2021 by padma.pandyaram
- डॉ
- सहायक आचार्य
- आसन महाविद्यालय चेन्नई
- [email protected]
- जी2 कविका अपार्टमेंट, कामाकोटि नगर, पल्लीकर्णाई चेन्नई