देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता” हेतु कविता –शहीदों के बूँद-बूँद रक्त का कर्जदार हुआ हूँ मैं
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ये जिंदगी तेरे नाम कर दी मैंने
हम-वतन शहीदों के नाम कर दी मैंने
शहीदों के बूँद-बूँद रक्त का कर्जदार हुआ हूँ मैं
ए मेरे प्यारे वतन तेरा कर्जदार हुआ हूँ मैं
ये नदियां , ये झरने , ये पहाड़ , ये फूल, ये खुश्बू
ये सब तेरी सुंदरता है
ये सब पाकर बड़ा हुआ हूँ मैं
ए मेरे प्यारे वतन तेरा कर्जदार हुआ हूँ मैं
कहीं कश्मीरी रोगन जोश, तो कहीं जलफ़्रेज़ी
कहीं हैदराबादी बिरयानी, तो कहीं ज़ुनका भाकरी
ये सब तेरे स्वाद है
ये सब खाकर बड़ा हुआ हूँ मैं
ए मेरे प्यारे वतन तेरा कर्जदार हुआ हूँ मैं
कहीं फूलों सा महका हूँ मैं, तो
कहीं पंछियों सा चहका हूँ मैं
कहीं पहाड़ियों की वादियों सा, तो
कहीं उसमे से गिरते झरने सा
हर रूप और रंग में
भिन्न भिन्न अंग में
चारों दिशाओं में तुझमे ही समाया हुआ हूँ मैं
ए मेरे प्यारे वतन तेरा कर्जदार हुआ हूँ मैं
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रचनाकार का नाम– रितेश जिंदल
पदनाम– अधिवक्ता
पूरा डाक पता– पुरानी मंडी , वार्ड नम्बर- 08, सितारगंज, डिस्ट्रिक्ट- उधम सिंह नगर, उत्तराखंड, पिन कोड- 262405
ईमेल पता – [email protected]
मोबाइल नम्बर– 8433193713
Last Updated on January 9, 2021 by riteshgpt00
- रितेश
- जिंदल
- अधिवक्ता
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- पुरानी मंडी , वार्ड नम्बर- 08, सितारगंज, डिस्ट्रिक्ट- उधम सिंह नगर, उत्तराखंड, पिन कोड- 262405