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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

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सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
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देशभक्त मां

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अंतर्राष्ट्रीय देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु प्रस्तुत रचना

देशभक्त मां
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छाती से आंचल लिपटाकर घूमूं सारे गांव रे।
एक दिन आयेगा लाल मेरा मैं बैठी अपनी ठांव रे।
रोज सबेरे सूरज आकर, मेरा मन बहलाता है ।
चांद चंदनिया के संग आकर थपकी देकर जाता है।
धरा भी ऊपर उठ-उठ कर,ममत्व मेरा सहलाती है,
अंबर नीचे आकर के धीरज मुझे दिलाता है।
आंखें मेरी पथरा गई अब अश्रु नहीं बहाती हैं ।
सूख के अश्रु धारा पथ तेरा बन जाती है।
मेरी मुंडेर पे रोज बोलता कागा कांव-कांव रे।
एक दिन आयेगा लाल मेरा मै बैठी अपनी ठांव रे।

छाती से आंचल….

परवा नहीं करना तुम युद्ध भूमि मे ज़ख्मों की।
मन मे बस संकल्पित रखना मातृभूमि की कसमों की।
तूफानों को काट देना, लड़ना गरम हवाओं से,
भिड़ जाना तुम हत्यारे आतकीं आकाओं से।
ज़ख्म हैं बेटे गहने तेरे, हँस के तुम धारण करना।
हर एक ज़ख्म पे जय-जय-जय हिंद,जय मेरा भारत करना।
आओगे मै चूम भी तेरे घायल पांव रे।
एक दिन आयेगा लाल मेरा मैं बैठी अपनी ठांव रे।

छाती से आंचल…

दुश्मन जब सिर पर आ जाये, शेरों सा भिड़ जाना तुम।
गीदड़ो के झुंड को औकात याद दिलाना तुम।
कहना तन मे खून हिंद का, दूध है भारत मैया का।
सच्चाई मे गांधी हूं और सीना भगतसिंह भैया का।
मार-काट मच जाये अगर तो इंच-इंच तुम कट जाना,
पर सौगंध हैं, दूध की मेरे इंच नहीं पीछे आना।
कफन तिरंगे का लिपटा हो, तिलक तेरा सिदूंरी हो,
वो भी मैं अपना लूंगी ,गर पीछे मुड़ने की मजबूरी हो।
गर्वित हो मैं कर दूंगी अपने आंचल की छांव रे।
एक दिन आयेगा लाल मेरा मै बैठी अपनी ठांव रे।

छाती से आंचल लिपटाकर घूमूं सारे गांव रे।
एक दिन आयेगा लाल मेरा मैं बैठी अपनी ठांव रे।

स्वरचित रचना-
रागिनी मित्तल
पूरा डाक पता: सरस्वती स्कूल के पास, जगमोहनदास वार्ड, नई बस्ती, कटनी, म.प्र. – 483501
ईमेल पता: [email protected]

मोबाइल नंबर: 8989728770
व्हाट्सएप नंबर: 8989728770

Last Updated on January 7, 2021 by raginimittal1965

  • रागिनी मित्तल
  • कवयित्री
  • एकाधिक पटल
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