ग़ज़ल,,,
उस घड़ी हमने नहीं की फिक्र,अपनी जान की।।
बात आगे आ गई जब देश के सम्मान की।।
आईनों में बिम्ब उनके उम्र भर जिंदा रहे।
देश की खातिर जिन्होंने जिंदगी कुर्बान की।।
हाथ में कुछ बूंद रखकर कह रहा खुद को नदी।
बस यही औका़त है उस मुल्क पाकिस्तान की।।
हम नहीं करते कभी कब्जा किसी भी मुल्क पर।
यह रिवायत है पुरानी मुल्क हिंदुस्तान की।।
सिक्ख हिंदू और मुस्लिम और ईसाई सुने।
फिक्र सब मिलकर करें इस देश के मुस्कान की।।
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Last Updated on January 3, 2021 by bindravnrais
- बृंदावन राय
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