हमने हर मोड़ पर जिसके लिये, ख़ुद को जलाया है।
उसी ने छोड़कर हमको, किसी का घर बसाया है।।
किया है जिसके एहसासों ने, मेरी रात को रोशन।
सुबह उसकी अदावत ने, मेरी रूह को जलाया है।।
मुहब्बत के थे दिन ऐसे, दुआ बस ये निकलती है।
ख़ुशी से चहके वो हरपल, मुझे जिसने रुलाया है।।
चुराया जिसने आसमाँ से, मेरे आफताब को।
वही रक़ीब उन हाथों की, लकीरों में आया है।।
सताती हैं वो तेरे प्यार की बातें, ख्यालों में।
तेरी इस बेरुख़ी ने मुझको, पत्थरदिल बनाया है।।
किया फिर याद तुझको आज, मैंने अपने अश्क़ों से।
तेरे एहसास की जुंबिश ने, फिर इनको बहाया है।।
कि तूने छोड़कर हमको, किसी का घर बसाया है।
हमने हर मोड़ पर तेरे लिये, ख़ुद को जलाया है।।
हमने हर मोड़ पर जिसके लिये, ख़ुद को जलाया है।
उसी ने छोड़कर हमको, किसी का घर बसाया है।।
किया है जिसके एहसासों ने, मेरी रात को रोशन।
सुबह उसकी अदावत ने, मेरी रूह को जलाया है।।
मुहब्बत के थे दिन ऐसे, दुआ बस ये निकलती है।
ख़ुशी से चहके वो हरपल, मुझे जिसने रुलाया है।।
चुराया जिसने आसमाँ से, मेरे आफताब को।
वही रक़ीब उन हाथों की, लकीरों में आया है।।
सताती हैं वो तेरे प्यार की बातें, ख्यालों में।
तेरी इस बेरुख़ी ने मुझको, पत्थरदिल बनाया है।।
किया फिर याद तुझको आज, मैंने अपने अश्क़ों से।
तेरे एहसास की जुंबिश ने, फिर इनको बहाया है।।
कि तूने छोड़कर हमको, किसी का घर बसाया है।
हमने हर मोड़ पर तेरे लिये, ख़ुद को जलाया है।।
Last Updated on October 22, 2020 by adminsrijansansar