बच्चों से इक पुस्तक बोली
जितना मुझे पढ़ जाओगे
उतने ही गूढ़ रहस्य मेरे
बच्चों तुम समझ पाओगे।
मुझमें छिपे रहस्य हजारों
सारे भेद समझ जाओगे
दुनियाँ के तौर-तरीकों से
तुम परिचित हो जाओगे।
मुझे ही पढ़कर कलाम ने
पाया है जग में सम्मान
नित अध्ययन कर मेरा
विवेकानंद बने महान।
मुझमें ही है संतो की वाणी
हैं कबीर के दोहे समाहित
पढ़कर मुझको बच्चे होते हैं
कुछ नया करने को लालायित।
नित करो अध्ययन तुम मेरा
जग में रोशन हो जाओगे
सपना पूरा होगा तुम्हारा
गीता सा सम्मान पाओगे।
शिक्षक एवं पूर्व कृषि शोध छात्र, इ० वि० इ०
संपर्क : प्राथमिक विद्यालय भैरवां द्वितीय, हसवा, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश, मूल निवास- रायबरेली, मो : 9451231908
Last Updated on October 27, 2020 by manuhrd7