गीत भीगी पलकें , स्वप्न अधूरे ,किंतु निराशा में हो आशा,यही जगत की है परिभाषा ! कभी मार खाकर Read More » January 21, 2021 No Comments
गीत ज़िंदगी में जो पढ़ा है,सब निरर्थक जान पड़ता,आचरण के पाठ सारे,पाठ्यक्रम से हट गये हैं ! रीढ़ पर Read More » January 21, 2021 No Comments