कैसे प्रिय पर अधिकार करूं…??
रचना शीर्षक :” कैसे प्रिय पर अधिकार करूं : एक अन्तर्द्वन्द “________________________________________ तुम प्रेम गीत का राग चुनो,मैं
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
रचना शीर्षक :” कैसे प्रिय पर अधिकार करूं : एक अन्तर्द्वन्द “________________________________________ तुम प्रेम गीत का राग चुनो,मैं
हे मेघ…! हृदय के भाव सुनो…!!_________________________निर्जन वन के पुनर्सृजन को,हे मेघ…! घुमड़ के आ जाओ,मन की दुर्बलता पर
मन की दीवारों के भीतर,मौन धरे वो कौन पड़ा..?अहम और निःस्वार्थ प्रेम में,हर क्षण सोचे है कौन बड़ा..??
रिश्तों की डोर में,हो तनाव जब ज्यादा,टूटने को आतुर,और खिचाव हो ज्यादा, बादलों का क्षितिज पर,इक झुकाव होना
निर्भया..! तुझे जीना होगा…!हैं घूंट भले कड़वे इस जग के,घूंट घूट कर के ही पीना होगा,निर्भया..! तुझे जीना
शीर्षक : “संबंधों में अपनापन हो” रिश्तों के उपवन में जब,मधुर पुष्प का सूनापन हो,प्रेम वृक्ष का अवरोपड़
शीर्षक : “चलते रहना ही जीवन है” देख हिमालय सी कठिनाई,क्यूं राहों का परित्याग किया,अथक परिश्रम करते करते,बढ़ते