मृत्यु
जन्म और मृत्यु,जीवन के दो छोरएक है प्रारंभ तो दूजा अंतइस मध्य ही है जीवन का सार। क्या
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
जन्म और मृत्यु,जीवन के दो छोरएक है प्रारंभ तो दूजा अंतइस मध्य ही है जीवन का सार। क्या
सोचता हुँ,सभी की भलाईसब हो खुशहालना हो कोई बदहाल। सब करे प्रगतिसब करे उन्नतिसबको मिले अधिकारफले फुले सबका
लो आ गयी दीवाली का त्योहारउल्लास और उमंग का लिए संचारकरती धन और समृद्धि का फुहार। हां
आज है मकर संक्रान्ति सूर्य देव हुए उत्तरायणलेकर गुनगुनी धूप और ऋतु परिवर्तन की तरंग। वसुधा ने फैलाई
जो बीत गया उसे भूल जायेजो आ रहा उसे अपनायेहालांकि जाते जाते बहुत रूलायाकईयों को अपनो से बिछड़ायादुख
उबंटू,सच मे थोड़ा अजीब सा शब्द हैमन मे सवाल उठा कि ये क्या हैजिज्ञासा उठी कि इसका मतलब