न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

प्रकृति प्रदुषण का यथार्थ

Spread the love
image_pdfimage_print

 

पेड़, पौधे ,जंगल कट रहे नए, नए नगर, शहर बस रहे। प्रकिति कुपित मानव पुलकित ब्रह्मांड के मानक बदल रहे।।
जहर हवा ,दूषित जल है जीवन कितना मुश्किल है नदियां, झरने ,झील सुख गए अपनी पहचान से रूठ गए।।
नदियां जीवन रेखा सी नित्य, निरंतर निर्मल ,निर्झर बहती कहती भारत भूमि जन्नत कि शान हो रहे बीरान।।
नदियां नालों में तब्दील इंसानी हरकत हद से प्रदूषित संकीर्ण हर सुबह कसमे खता है इंसान धरती को स्वर्ग बनाएंगे पर्यावरण बचाएंगे।।
ढले शाम नई गन्दगी देकर पृथ्वी कि हस्ती प्रदूषित और विभूषित करत जाता इंसान।।
इंसान का एक दूजे से नहीं कोई रिश्ता नाता इंसान ही प्रदूषण बेचता इंसानी समाज ही खाता और पचाता पर्यावरण बदहाल।।
आटा, चावल ,घी ,तेल ,मशाला जाने क्या ,क्या दवाई और मिठाई आधा असली आधा नकली ,नकली का बोल
बाला इंसान।।

इंसानो को खुद कि चिंता ही नहीं प्रकृति धरा धन्य को क्या बचा पाएगा। आने वाली नाश्लो को वीरान बीमारी कि युग सृष्टि घुट घुट मरने को दे जाएगा।।
तील तील मरता इंसान अपनी पैदाईस जिंदगी पर सिर धुन धुन कर रोयेगा पछतायेगा।।
अंधा धुंध कटते बृक्ष जंगल।बनता मैदान प्रकृति के प्राणी मरते पल पल करते इंसानों से जीवन रक्षा कि गुहार।।
इंसानो ने उनका घर ,जीवन ,छिना सभ्यता विकास कि दौड़ होड़ में मरते मरते युग इतिहास में कहानी किस्सों के बनते गए किरदार।।

मरते ,मरते अस्तित्व को लड़ते लड़ते इंसानों को देते जाते श्राप मेरा तो आश्रय अस्तित्व है छीना तुम खुद के अस्तित्व में करोगे हाहाकर लम्हा लम्हा भय भयंकर झेलोगे संताप।। झेलोगे नामी और सुनामी धरा डोलती बोलती और तूफ़ान।।
तेरे कर्मो का फल प्रकृति पर्यावरण का श्राप परिणाम मानव और मानवता के लिये नहीँ क़ोई विकल्प नही संयम
संकल्प ही शेष आज।।
प्रकृति बचाओ, युग बचाओं, शुद्ध हवा और पानी जल ही जीवन ,वन ही जीवन झरने नदियां और पहाड़,प्रकिति जिंदगानी।।
परिवार प्रकृति का सरक्षण ना हो।कोई प्रदूषण हो स्वच्छ हवा और पानी हो स्वस्थ मानव मन और काया लम्बी जिंदगानी हो।।
कलरव करती नदियां मौसम ऋतुए चलती जाएँ अपनी गति और चाल प्रकृति का हर प्राणी मानवता का मित्र रहे ना पिघले ना ग्लेशियर ना बढे धरती का ताप ।।
समन्दर से ना उठे क़ोई गुबार सर्दी,गर्मी ,वर्षा शरद पृथ्वी के अभिमान ।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश

Last Updated on March 19, 2021 by nandlalmanitripathi

  • नंन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
  • प्राचार्य
  • भारतीय जीवन बीमा निगम
  • [email protected]
  • C-159 दिव्य नगर कॉलोनी पोस्ट-खोराबार जनपद-गोरखपुर -273010 उत्तर प्रदेश भारत
Facebook
Twitter
LinkedIn

More to explorer

2025.06.22  -  प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता  प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ  --.pdf - lighttt

‘प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता : प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रतिभागिता प्रमाणपत्र

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता पर  दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन संपन्न प्रयागराज, 24

2025.06.27  - कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण - --.pdf-- light---

कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि के अवसर  परकृत्रिम मेधा के दौर में

light

मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष 2025-26 के अंतर्गत मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर

Leave a Comment

error: Content is protected !!